नया वसन्त

‘नया वसन्त’ एक खूबसूरत हिंदी कविता है, जो प्रकृति की सुंदरता और जीवन के नये आरम्भ का अद्भुत चित्रण करती है। इसे पढ़कर मन में एक नयी ऊर्जा और ताजगी का अहसास होता है।
हरी-भरी हो गई है धरती
फूलों से लद गया वसन्त
सुन्दरता धरती की देखें
दूर दूर तक कहीं न अन्त।
अभी अभी मेरे जीवन में
आया है नया वसन्त।
मेरे स्वर्णिम सपनों का
कहीं न आदि कहीं न अंत।
मैं कल्प शक्ति के पंख पसारे
नील गगन में उड़ जाऊं ।
या मंद पवन का झोंका बन
हरी-भरी डालियां हिलाऊं।
या मधुमक्खी बनकर के
फूलों का रस पी जाऊं
या भंवरा बनकर बगिया में
इधर उधर मंडराऊं।
या नन्हा सा पक्षी बन
फुदक फुदक गाना गाऊं।
या सुन्दर सी तितली बनकर
बच्चों के मन को भाऊं।
या फिर सुन्दर वृक्ष बनूं
धरती पर हरियाली लाऊं।
पता नहीं इस डाली को
जो हरी-भरी इठलाती है।
नहीं जानती पतझड़ को
वो पत्ते सब ले जाएगा।
नहीं फूल को पता कि
उसको इक दिन बीज बन जाना है
बीज को क्या मालूम कि
उसके भीतर वृक्ष छिपा बैठा।
फिर बीज उगेगा वृक्ष बनेगा।
फिर वसन्त आ जाएगा
कोमल कलियां फिर से होंगी
पुष्प लसित डाली होगी
अभी अभी मेरे जीवन में
आया है एक नया वसन्त
उल्लासों से भरा वसन्त।
मन में मेरे स्वप्न अंकुरित
होते हैं नित नए नए।
कौन अंकुरण पौध बनेगा
वृक्ष नया कैसा होगा
मन के अन्तर्द्वन्दों में है
मेरा यह नया वसन्त।।
One reply on “नया वसन्त”
Bahut sunder kavita