काश! मेरी भी एक बहन होती – एक भावुक कविता

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काश! मेरी भी एक बहन होती,रोती-हंसती और गुनगुनाती।रूठती-ऐंठती और खिलखिलाती,मुझसे अपनी हर जिद मनवाती।राखी बांध मुझे वो खुश होती,काश! मेरी भी एक बहन होती। पीठ पर बैठाकर घोड़ा बनता,उसे बाग-बगीचा दिखाता।लोरी गाकर सुलाता उसे,मेरी बाहों के झूले में वो सोती,काश! मेरी भी एक बहन होती। सपनों के आकाश में उड़ती,दिल से आकर जुड़ती।रिश्तों को परिभाषित […]

काश! मेरी भी एक बहन होती,
रोती-हंसती और गुनगुनाती।
रूठती-ऐंठती और खिलखिलाती,
मुझसे अपनी हर जिद मनवाती।
राखी बांध मुझे वो खुश होती,
काश! मेरी भी एक बहन होती।

पीठ पर बैठाकर घोड़ा बनता,
उसे बाग-बगीचा दिखाता।
लोरी गाकर सुलाता उसे,
मेरी बाहों के झूले में वो सोती,
काश! मेरी भी एक बहन होती।

सपनों के आकाश में उड़ती,
दिल से आकर जुड़ती।
रिश्तों को परिभाषित करती,
हम सबकी प्यारी होती,
काश! मेरी भी एक बहन होती।

कभी दोस्त बन मन को भाती,
कभी मां की तरह ममता दिखाती।
कभी बेटी बन खुशियां लाती,
जीवन की रोशनी होती,
काश! मेरी भी एक बहन होती।

रक्षाबंधन के दिन आती,
मेरे माथे पर टीका लगाती।
स्नेह का धागा कलाई पर बांधती,
आयु और समृद्धि का वर देती,
काश! मेरी भी एक बहन होती।

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