गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है… – शिक्षक दिवस की खास प्रस्तुति
यह प्रेरणादायक कविता गुरु के महत्व को प्रकट करती है। जिस प्रकार से ब्रह्मा सृजन करते हैं, विष्णु पोषण करते हैं और महेश विनाश करते हैं, ठीक वैसे ही हमें भी अपने जीवन में उचित मार्गदर्शन और संजीवनी प्रेरणा मिलती है। इतिहास भी गवाह है कि गुरुओं की मार्गदर्शन से ही महान व्यक्तियों ने अपार सफलता प्राप्त की है। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हमें भी गुरु के मार्गदर्शन से जीवन में सही पथ पर चलना चाहिए और दूसरों की भी मदद करनी चाहिए।
जीवन की कई चुनौतियों में, गुरु के मार्गदर्शन से ही हम असली राह पा सकते हैं। इस कविता के माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि हर एक व्यक्ति में एक गुरु की भावना होनी चाहिए, जिससे वह अन्यों को सही मार्ग पर ले जा सके। गुरु न केवल ज्ञान का स्रोत होता है, बल्कि वह हमें जीवन के असली मायने समझाता है।
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है…
“गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही देव महेश है… “
यह केवल सम्मान नहीं है,
एक साफ संदेश है!!
ब्रह्मा जैसे सृजन करें हम
नव – समाज, नव- द्वारों का…
पोषण हमसे हो जगती में..
ऊँचे आचार- विचारों का !
फैल रहा जो द्वंद्व धरा पर..
बन महेश संहार करें…
ऊँचे सब में भाव भरें…..
हम आज नया निर्माण करें!!!
है इतिहास सदा से साक्षी
गुरुओं ने देश चलाए हैं….
पडी ज़रूरत जब धरती पर-
राम – कृष्ण बनाए हैं….
भारत का सम्मान बढ़ाने ..
चंद्रगुप्त ले आए हैं….
राणा, शिवा, दयानंद भी गुरुओं का सम्मान बने…
पाकर राह हमी गुरुओं से
धरती का कल्याण बने!!
आओ आज भी इसी मंत्र को जीवन का
आधार बनाएँ..
भटक रहे जो लोग यहाँ…
गुरु बनकर..
सच्ची राह दिखाएं
गुरु बनकर हम राह दिखाएं!!!!
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