गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस: इतिहास, महत्व और आयोजन

गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस सिख समुदाय के लिए आस्था, बलिदान और प्रेरणा का प्रतीक है। जानिए इस दिन का ऐतिहासिक महत्व और आयोजन की जानकारी।
गुरु अर्जुन देव सिख धर्म के पाँचवें गुरु और पहले शहीद थे। उनका जीवन सेवा, सत्य, और बलिदान का अनुपम उदाहरण है। इस लेख में हम गुरु अर्जुन देव जी के जीवन, उनकी शहादत, और शहीदी दिवस के आयोजन के बारे में विस्तार से जानेंगे।
गुरु अर्जुन देव जी का जीवन परिचय
गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1563 को गोइंदवाल साहिब, तरनतारन, पंजाब में हुआ था। वे गुरु रामदास जी (चौथे सिख गुरु) और माता बीबी भानी के पुत्र थे। बचपन से ही वे सेवा, भक्ति और ज्ञान में गहरी रुचि रखते थे।


वर्ष 1579 में उनका विवाह माता गंगा जी से हुआ और उनके पुत्र श्री हरगोबिंद सिंह जी हुए, जो आगे चलकर सिखों के छठे गुरु बने। गुरु अर्जुन देव जी ने 1581 में सिख समुदाय का नेतृत्व संभाला और अपने कार्यों से इसे नई दिशा दी।
मुख्य योगदान:
- अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की नींव रखी।
- आदि ग्रंथ (अब श्री गुरु ग्रंथ साहिब) का संकलन किया।
- समाज सेवा और भाईचारे को बढ़ावा दिया।
गुरु अर्जुन देव जी की शहादत
गुरु अर्जुन देव जी की शहादत सिख इतिहास का एक अत्यंत मार्मिक अध्याय है। मुग़ल सम्राट अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर ने सत्ता संभाली। उसके शासनकाल में कुछ विरोधियों ने गुरु जी के खिलाफ षड्यंत्र रचा।
जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव जी पर शहजादा खुसरो को शरण देने का आरोप लगाया और उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। उन्हें पाँच दिनों तक भयंकर यातनाएँ दी गईं — गर्म तवे पर बैठाया गया, उन पर गर्म रेत और तेल डाला गया। अंततः, उन्हें रावी नदी में बहा दिया गया।
गुरु जी का बलिदान सिख समुदाय के लिए सत्य, धैर्य और विश्वास का प्रतीक बन गया।
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस हर साल सिख कैलेंडर के तीसरे महीने, जेठ के 24वें दिन मनाया जाता है।
यह दिन गुरु अर्जुन देव जी के बलिदान को श्रद्धांजलि देने का अवसर है और सिख धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।


शहीदी दिवस पर आयोजनों की झलक
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस के अवसर पर सिख समुदाय अनेक धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करता है:
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है।
- गुरुद्वारों में लंगर (निःशुल्क भोजन सेवा) वितरित किया जाता है।
- शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचन होते हैं।
- श्रद्धालु लाहौर स्थित गुरुद्वारा देहरा साहिब में दर्शन के लिए भी जाते हैं, जहाँ गुरु जी ने अंतिम साँसें ली थीं।
गुरु अर्जुन देव जी के अनमोल विचार
गुरु अर्जुन देव जी के वचनों में मानवता के लिए गहरा संदेश है:
- “जो सच्चा नाम जपता है, उसकी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं।”
- “जो दूसरों के प्रति दयालु है, उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।”
- “जो ईश्वर की इच्छा के अनुसार चलता है, उसे कभी भी दुःख नहीं होता।”
- “जो सच बोलता है, उसे कभी भी डर नहीं लगता।”
- “जो कर्मठ है, उसे सफलता अवश्य मिलती है।”
- “जो विनम्र है, उसे सभी प्रिय लगते हैं।”
गुरु अर्जुन देव जी की साहित्यिक सेवा
गुरु अर्जुन देव जी को साहित्य से विशेष प्रेम था। उन्होंने कई सुंदर गुरुवाणियाँ लिखीं, जो आज श्री गुरु ग्रंथ साहिब का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी रचनाएँ सिख कीर्तन और भक्ति संगीत का आधार हैं, जिन्हें गुरुद्वारों में श्रद्धापूर्वक गाया जाता है।
FAQs
प्रश्न: गुरु अर्जुन देव जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: 15 अप्रैल, 1563 को गोइंदवाल साहिब, तरनतारन, पंजाब में।
प्रश्न: गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर: सिख कैलेंडर के जेठ महीने के 24वें दिन।
प्रश्न: गुरु अर्जुन देव जी को मृत्यु दंड क्यों दिया गया था?
उत्तर: मुग़ल सम्राट जहाँगीर ने षड्यंत्र और बगावत का आरोप लगाकर गुरु अर्जुन देव जी को मृत्युदंड दिया था। इतिहासकारों के अनुसार इसके पीछे राजनीतिक कारण थे।


गुरु अर्जुन देव जी का जीवन और बलिदान हमें सत्य, सेवा और धैर्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी हमें सच्चाई और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती हैं।
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह अपने मूल्यों और आदर्शों को याद करने का भी दिन है।
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