अकबर-बीरबल की कहानी: कौन है असली मां?
शहंशाह अकबर के दरबार में एक दिन एक अनोखा और पेचीदा मामला आया, जिसने हर किसी को हैरत में डाल दिया। दरबार में दो महिलाएं पहुंची, जिनके साथ एक प्यारा सा दो-तीन साल का बच्चा था। दोनों महिलाएं जोर-जोर से रो रही थीं और दावा कर रही थीं कि बच्चा उनका है। समस्या यह थी […]
शहंशाह अकबर के दरबार में एक दिन एक अनोखा और पेचीदा मामला आया, जिसने हर किसी को हैरत में डाल दिया। दरबार में दो महिलाएं पहुंची, जिनके साथ एक प्यारा सा दो-तीन साल का बच्चा था। दोनों महिलाएं जोर-जोर से रो रही थीं और दावा कर रही थीं कि बच्चा उनका है। समस्या यह थी कि वे दोनों महिलाएं शहर के बाहर की रहने वाली थीं, इसलिए किसी ने उन्हें पहले नहीं देखा था और यह बताना मुश्किल था कि बच्चे की असली मां कौन है।
अकबर के सामने यह एक बड़ी समस्या थी कि कैसे इस स्थिति को सुलझाया जाए और बच्चे को उसकी असली मां के पास पहुंचाया जाए। उन्होंने अपने दरबार के सभी विद्वानों और मंत्रियों से राय मांगी, लेकिन कोई भी इस उलझन का समाधान नहीं निकाल सका। तभी बीरबल दरबार में आए।
बीरबल के आते ही अकबर की आंखों में उम्मीद की चमक लौट आई। उन्होंने तुरंत बीरबल को पूरी कहानी सुनाई और कहा, “बीरबल, अब इस गुत्थी को सुलझाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।”
बीरबल ने कुछ देर सोचा और फिर जल्लाद को दरबार में बुलाने का आदेश दिया। सभी दरबारी इस निर्णय को सुनकर चौंक गए। जल्लाद के आते ही, बीरबल ने बच्चे को दरबार के बीचोंबीच बैठा दिया और कहा, “हम इस बच्चे के दो टुकड़े कर देते हैं। एक-एक टुकड़ा दोनों महिलाओं को दे देंगे। यदि इन महिलाओं में से किसी को यह बात स्वीकार नहीं है, तो जल्लाद उस महिला के टुकड़े कर देगा।”
बीरबल की इस बात से दरबार में सन्नाटा छा गया। अचानक, उनमें से एक महिला सहर्ष बच्चे के टुकड़े करने के लिए तैयार हो गई और बोली, “मुझे यह प्रस्ताव मंजूर है। मैं बच्चे का टुकड़ा लेकर चली जाऊंगी।” लेकिन दूसरी महिला ने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया और गिड़गिड़ाते हुए कहा, “नहीं, बच्चे को मत काटो। मुझे बच्चा नहीं चाहिए। आप मेरे टुकड़े कर दो, पर इस नन्हे को छोड़ दो। इसे दूसरी महिला को दे दो।”
यह देखकर दरबारियों को लगा कि जो महिला बच्चे के टुकड़े करने की बात मान रही है, वह ही सही मां होगी। लेकिन बीरबल ने अचानक घोषणा की, “उस महिला को गिरफ्तार कर लो जो बच्चे के टुकड़े करने के लिए तैयार है। वही झूठ बोल रही है।”
असली मां का पता चलते ही झूठी महिला रोने लगी और माफी मांगने लगी, लेकिन बादशाह अकबर ने उसे जेल भिजवा दिया। इसके बाद अकबर ने बीरबल से पूछा, “तुमने कैसे पहचाना कि असली मां कौन है?”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “महाराज, एक सच्ची मां अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, यहां तक कि अपने जीवन को भी दांव पर लगा सकती है। वही महिला असली मां है जो खुद के टुकड़े करवाने के लिए तैयार थी, लेकिन अपने बच्चे के नहीं।”
बीरबल की इस बुद्धिमानी और दूरदर्शिता से सभी दरबारी प्रभावित हुए और अकबर ने एक बार फिर बीरबल की प्रशंसा की।
कहानी से सीख:
हमें कभी भी किसी और की चीज पर दावा नहीं करना चाहिए। सच्चाई की हमेशा जीत होती है, और समझदारी और धैर्य से हर समस्या का समाधान संभव है।
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