गर्मी की छुट्टी और नानी का घर: बच्चों की प्यारी कहानी

गर्मी की छुट्टी और नानी का घर बच्चों के लिए सिर्फ छुट्टियों का समय नहीं, बल्कि एक जादुई सफर होता है। इस कहानी में जानिए सारा की छुट्टियों की यादगार यात्रा।

गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो चुकी थीं। स्कूल में आखिरी दिन था और सभी बच्चे बहुत खुश थे। सारा, जो तीसरी कक्षा में पढ़ती थी, तो जैसे खुशी से उछल ही पड़ी थी। जैसे ही वो घर पहुँची, मम्मी से पूछा —
“मम्मा! कब चलेंगे नानी के घर?”

मम्मी मुस्कराईं, “कल सुबह की ट्रेन है बेटा, तुम पैकिंग कर लो।”

सारा दौड़ते हुए अपने कमरे में गई और अपने खिलौने, किताबें और नए कपड़े रखने लगी। वह बहुत उत्साहित थी, क्योंकि नानी का घर उसके लिए किसी जादुई जगह से कम नहीं था।

अगले दिन सुबह-सुबह वे लोग ट्रेन से रवाना हो गए। खिड़की से बाहर झाँकती सारा खेत, पेड़ और उड़ते हुए पक्षियों को देखकर खुश हो रही थी।

जैसे ही वे नानी के घर पहुँचे, नानी ने बाँहें फैलाकर सारा को गले लगा लिया।

“मेरी गुड़िया आ गई!” नानी ने प्यार से कहा।

नानी के घर का माहौल ही कुछ और था। वहाँ आम का पेड़ था, जिस पर झूला बंधा हुआ था। सारा झूले पर झूलती और नानी की बनाई ठंडी-ठंडी आम की कुल्फी खाती। कभी नानी उसे परियों की कहानी सुनातीं, तो कभी वो पास के तालाब में मछलियों को दाना डालने जाती।

हर दिन एक नया रोमांच था। नानी के हाथों की बनी पूरियाँ, आम का अचार, और मीठी खीर — सब कुछ सारा को बहुत पसंद था।

एक शाम, बिजली चली गई। नानी ने लालटेन जलाई और सब आंगन में चटाई पर बैठ गए। नानी ने एक पुरानी कहानी सुनाई — उस लड़की की जो जंगल में खो गई थी लेकिन अपनी चतुराई से रास्ता ढूँढ़ निकाला। सारा तो कहानी में खो ही गई थी।

गर्मी की छुट्टियाँ कब बीत गईं, पता ही नहीं चला। जब वापसी का दिन आया, तो सारा की आँखों में आँसू थे।

“नानी, मैं आपको बहुत मिस करूँगी,” उसने धीरे से कहा।

नानी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “अगली छुट्टियों में फिर आ जाना बेटा, हम फिर से मज़े करेंगे।”

सारा ने मुस्कराकर सिर हिलाया, और नानी की बाँहों में एक आख़िरी बार खुद को समेट लिया।

सीख:

गर्मी की छुट्टियाँ सिर्फ आराम का समय नहीं होतीं, बल्कि यह अपने परिवार से जुड़ने और प्यार भरे पलों को जीने का समय भी होती हैं।


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