भगवान को चिट्ठी – एक भावुक कहानी

रोहित अपने घर के बाहर खेल रहा था। उसकी मां कमला आज काम पर नहीं गई थी। वह घर पर ही बिस्तर पर लेटी थी। कमला: रोहित कहां है बेटा? इधर आ। LCD Writing Pad 8.5-Inch Tablet for Kids Get This Toys Match & Spell Reading & Spelling Activity, Teach Phonics Word Building Get This Storio […]

रोहित अपने घर के बाहर खेल रहा था। उसकी मां कमला आज काम पर नहीं गई थी। वह घर पर ही बिस्तर पर लेटी थी।

कमला: रोहित कहां है बेटा? इधर आ।

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रोहित मां की आवाज सुनकर दौड़ कर मां के पास आया।

रोहित: क्या हुआ मां?

कमला: बेटा जरा सा पानी दे दे पीने के लिये और जा कुसुम चाची को बुला ला।

रोहित ने मां को पानी दिया। पानी देकर वह दौड़ कर कुसुम चाची के घर पहुंच गया।

रोहित: चाची मां ने आपको बुलाया है।

कुसुम: ठीक है तू चल मैं आती हूं।

कुछ ही देर में कुसुम चाची मां के पास आ गई।

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कुसुम: कमला मैंने तुझे पहले ही कहा था। काम से छुट्टी लेकर पहले अपना इलाज करा ले। लेकिन तूने मेरी सुनी है कभी।

कमला: बहन मुझे लगता है मैं शायद बच न पाउं। मुझे रोहित की चिंता होती है। ये तो अपने हाथ से खाना भी नहीं खा पाता। मेरे बाद इसका क्या होगा।

कुसुम: बेकार की बातें क्यों सोच रही है। ऐसी बिमारी तो आती जाती रहती हैं। तू ठीक हो जायेगी। कल अस्पताल गई थी तो डॉक्टर ने क्या कहा?

कमला: डॉक्टर ने बोला कि केंसर फैल रहा है। लंबा इलाज चलेगा। लेकिन मैं जानती हूं। डॉक्टर झूठ बोल रहा है। मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा है।

छोटा सा रोहित घर के बाहर खड़ा होकर अपनी मां और कुसुम चाची की बातें सुन रहा था। उसे लगा जैसे उसका और मां का साथ छूट जायेगा।

कुसुम चाची मां को सांत्वना दे रही थी।

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कमला: बहन मेरे बाद मेरे रोहित का ध्यान रखना। जानती हूं तुझ पर मेरा कोई हक नहीं है। लेकिन इसके पिता के जाने के बाद सभी ने मेरा साथ छोड़ दिया।

कुसुम: तू इसकी चिंता मत कर। तूने कहा था। बड़े केंसर के अस्पताल में इसका इलाज है।

कमला: हां है तो सही लेकिन वहां इलाज कराने में बहुत पैसा लगेगा मैं कहां से लाउंगी इतना पैसा।

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कुसुम: भगवान पर भरोसा रख सब ठीक हो जायेगा।

रोहित छिप कर दोंनो की बातें सुन रहा था। उसे बस इतना पता था कि भागवान उसकी मां को अच्छा कर सकते हैं।

शाम को जब कमला सो रही थी। तब रोहित ने अपनी बस्ते में से कापी निकाल कर कुछ लिखना शुरू किया।

भगवान जी

मेरी मां को केंसर है। उसकी बीमारी ठीक कर दो। नहीं तो पैसे भेज दो जिससे बड़े अस्पताल में इलाज हो जाये। पापा की तरह मेरी मां को अपने पास मत बुला लेना। भूल न जाना मेरा घर बड़े हनुमान जी के मन्दिर की पीछे वाली गली में तीसरे नम्बर का है।

आपका रोहित।

चिट्ठी लिख कर रोहित ने अपने बस्ते में रख ली। अगले दिन सुबह वह चिट्ठी लेकर गया और पोस्ट बॉक्स में डाल आया।

रोहित बहुत खुश था। उसे पता था। भगवान जी उसकी मां को ठीक कर देंगे।

कमला: कहां चला गया था? सुबह सुबह।

रोहित: कहीं नहीं मां बस घर के बाहर ही खेल रहा था।

रोहित की लिखी चिट्ठी, डाक के साथ छटनी के लिये पोस्ट ऑफिस पहुंच जाती है। वह चिट्ठी एक डाकिये के हाथ लगती है। जिसे पढ़ कर वह पोस्ट मास्टर के पास ले जाता है। पोस्ट मास्टर चिट्ठी को पढ़ कर सोचने लगता है। इस बच्चे की मदद करनी चाहिये। वह चिट्ठी को अपनी जेब में रख लेता है।

शाम को पोस्ट ऑफिस से छुट्टी करके पोस्ट मास्टर अपनी बाईक से घर जा रहा था। रात का समय था सड़क पर गढ्ढे बहुत थे। अचानक एक गढ्ढे में बाईक का बैलेंस बिगड़ जाता है और बाईक के सा पोस्ट मास्टर गिर जाता है।

कुछ लोग दौड़ कर उसे उठाते हैं। उसके पैर में काफी चोट आई थी। दो लोग उसे एक ऑटो में बिठा कर अस्पताल ले जाते हैं।

वहां तक जाते जाते वह बेहोश हो जाता है। अस्पताल के सबसे सीनियर डॉक्टर गिरधारी जी उस समय ड्यूटी पर थे। वे पोस्ट मास्टर के पैर पर प्लास्टर लगवाते हैं। उसे इंजेक्शन देते हैं। फिर वो नर्स से कहते हैं

गिरधारी जी: इसे कौन लाया था।

नर्स: सर पता नहीं कुछ लोग इसे यहां छोड़ गये कह रहे थे बाईक से गिर गया है।

गिरधारी जी: इसकी तलाशी लो इसका नाम, पता कुछ पता लगे।

नर्स तलाशी लेती है।

नर्स: सर ये पर्स मिला है इसमें इसका आई कार्ड है। ये किसी पोस्ट ऑफिस में पोस्ट मास्टर है और साथ ही एक चिट्ठी मिली है।

गिरधारी जी: ऐसा करो आई कार्ड पर जो पता लिखा है। उस पर किसी को भेज कर खबर कर दो।

उसके बाद गिरधारी जी वह चिट्ठी पढ़ने लगते हैं।

अगले दिन गिरधारी जी पोस्ट मास्टर को देखने आते हैं। तब तक उसके घरवाले भी आ चुके होते हैं।

गिरधारी जी: अब आप कैसे हैं?

पोस्ट मास्टर: ठीक हूं डॉक्टर साहब। ये प्लास्टर कब उतरेगा।

गिरधारी जी: जल्द ही उतर जायेगा। हड्डी में फैक्चर नहीं है। हल्का सा क्रेक है। इस पर वजन में डालना। पन्द्रह दिन में सही हो जायेगा। एक बात बताओ तुम्हारी जेब से ये एक चिट्ठी मिली है। किसकी है ये?

पोस्ट मास्टर: पता नहीं कल डाक छांटते समय एक डाकिये को मिली थी। उसने मुझे दे दी।

गिरधारी जी शाम को अपने दोस्त रोशन के घर पहुंच गये।

गिरधारी जी: रोशन मुझे एक बच्चे की चिट्ठी मिली है। क्या हम इसकी मदद कर सकते हैं?

रोशन जी उसी बड़े केंसर अस्पताल के मालिक थे।

रोशन जी: ये कौन है?

गिरधारी जी: पता नहीं ये चिट्ठी कहीं से मिली है मुझे।

रोशन जी: बहुत अच्छा किया आपने। मैं कल ही सरा इंतजाम करता हूं सुबह चलते हैं इस पते पर।

गिरधारी जी: हमें इसकी मां का इलाज करना होगा चाहें जितना पैसा लगे मैं दे दूंगा।

रोशन जी: भगवान ने हमें इसकी मदद के लिये चुना है। पैसे की कोई बात नहीं है। मैं इसका इलाज का भरोसा देता हूं कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।

अगले दिन एक कार कमला के घर के बाहर आकर रुकती है। गली में बच्चे खेल रहे थे।

गिरधारी जी: बेटा रोहित का घर कौन सा है।

बच्चा इशारे से घर बता देता है। दोंनो घर का दरवाजा खटखटाते हैं। रोहित दरवाजा खोलता है।

रोहित: आप कौन हो? किससे मिलना है?

गिरधारी जी: बेटा आपने यह चिट्ठी लिखी थी। हमें भगवान जी ने भेजा है तुम्हारी मां का इलाज करने के लिये।

रोहित बहुत खुश होता है। रोशन जी और गिरधारी जी कमला को सारी बात बताते हैं।

कमला की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वह कुसुम को बुला कर रोहित को उसके पास छोड़ कर उनके साथ अस्पताल के लिये निकल जाती है।

कमला का केंसर अस्पताल में अच्छे से इलाज होता है। तीन महीने बाद उसकी सारी रिर्पोट नार्मल आ जाती है। उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।

आज कमला घर आ गई।

रोहित: मां आपको भगवान जी ने ठीक करके भेज दिया। वहां पापा मिले थे क्या?

कमला: नहीं बेटा बस भगवान मिले थे। वो भी तेरी चिट्ठी के कारण।

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