प्रतिज्ञा – एक प्रेरणादायक कविता
हम सब मिलकर करें प्रतिज्ञा, सपनों को साकार करें। साथ चलें, हाथ बढ़ाएं, नया सवेरा लेकर आएं।
आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा
देश को स्वर्ग बनाना है।
इससे ‘वर’ पा बड़े हुए
हमें इसको स्वर्ग बनाना है।
उच्च हिमालय कहता हमसे
तुमको ऊँचा रहना है।
आए आँधी या तूफान
तुमको सब कुछ सहना है।
अपना जीवन भी हम सबको
‘पर्वतराज’ बनाना है।
इससे ‘वर’ पा बड़े हुए
हमें इसको धन्य बनाना है।
निर्मल नदियाँ नित बह बह कर
सीख सदा यह देती है।
सबको दो शीतलता अपनी
ये सब हमसे कहती हैं।
हम उत्सर्ग करें ये जीवन
जग को सुखी बनाना है।
इससे ‘वर’ पा बड़े हुए
हमें इसको धन्य बनाना है।
धरती इसकी कितनी सुंदर
सहना हमें सिखाती है।
दुखियों के दुख दूर करे
ये बात हमें समझाती है।
इससे शिक्षा ग्रहण करें
जीवन निःस्वार्थ बनाना है।
इससे ‘वर’ पा बड़े हुए
हमें इसको धन्य बनाना है।
“प्रतिज्ञा” एक प्रेरणादायक हिंदी कविता है जो एकजुटता और संकल्प की भावना को उजागर करती है। यह कविता सामाजिक समरसता और सामूहिक प्रयासों की महत्वता पर जोर देती है, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए जा सकें। कवि हमें यह संदेश देता है कि हम सब मिलकर एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। कविता में शब्दों का सुंदर चयन और विचारों की गहराई इसे एक प्रभावशाली रचना बनाते हैं।
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