धूप में खेलें हम सब

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धूप में खेलें हम सब, सुनहरा संसार, हर्षित मन, उज्ज्वल तन, खुला आसमान अपार। गेंद, गुल्ली, कबड्डी की, बच्चों की भरमार, सूरज दादा की किरणें, दें खुशियों की बौछार। कूदते, दौड़ते, खिलखिलाते हर दिन, सीखें जीवन के सबक, खेल-खेल में बिन छिन। धूप में खेलने से, मिले विटामिन ‘डी’ अनमोल, स्वस्थ शरीर, प्रफुल्लित मन, जीवन […]

धूप में खेलें हम सब, सुनहरा संसार,
हर्षित मन, उज्ज्वल तन, खुला आसमान अपार।
गेंद, गुल्ली, कबड्डी की, बच्चों की भरमार,
सूरज दादा की किरणें, दें खुशियों की बौछार।

कूदते, दौड़ते, खिलखिलाते हर दिन,
सीखें जीवन के सबक, खेल-खेल में बिन छिन।
धूप में खेलने से, मिले विटामिन ‘डी’ अनमोल,
स्वस्थ शरीर, प्रफुल्लित मन, जीवन हो भरपूर।

सूरज की रौशनी में है, जीवन का आधार,
धूप में खेलें हम सब, बने निरोगी अवतार।
खेल के मैदान में है, संस्कारों का विकास,
धूप में खेलने का रहे, हर दिन आभास।

 

यह कविता “धूप में खेलें हम सब” हमें बहुत सी शिक्षाप्रद बातें सिखाती है। यह हमें बताती है कि कैसे धूप में खेलना हमारे स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए लाभकारी है। इस कविता के माध्यम से बच्चों को न केवल विटामिन ‘डी’ के महत्व के बारे में पता चलता है, बल्कि यह उन्हें आपस में मिलजुल कर खेलने और सहयोग की भावना विकसित करने की प्रेरणा भी देती है। खेल के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखने की बात कहकर यह कविता बच्चों को निरोगी और सकारात्मक जीवन शैली अपनाने की ओर प्रेरित करती है।

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