माँ का अनमोल प्यार – एक सुंदर कविता

माँ के अनमोल प्यार

गिनती नही आती मेरी माँ को यारों,
मैं एक रोटी मांगता हूँ वो हमेशा दो ही लेकर आती है.
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था

सब कह रहें हैं
आज माँ का दिन है
वो कौन सा दिन है..
जो मां के बिन है

जब जब कागज पर लिखा , मैने ‘माँ’ का नाम
कलम अदब से बोल उठी , हो गये चारो धाम

माँ को देख,
मुस्कुरा लिया करो..
क्या पता किस्मत में
तीर्थ लिखा ही ना हो
​मृत्यु के लिए बहुत रास्ते हैं पर.
जन्म लेने के लिए केवल माँ​​.

माँ के लिए क्या लिखूँ ? माँ ने खुद मुझे लिखा है |

दवा असर ना करें तो
नजर उतारती है
माँ है जनाब…
वो कहाँ हार मानती है |

माँ की ममता और स्नेह को समर्पित इस कविता में उनका त्याग, देखभाल और अनमोल रिश्ता सामने आता है। माँ का हर लम्हा हमारे जीवन को संवारने में लगा रहता है। चाहे हमें भूख लगे या बीमार पड़ें, माँ का प्यार कभी नहीं रुकता। इस कविता में उनकी देखभाल का वर्णन है, जैसे जब माँ हमें एक रोटी के लिए दो रोटियाँ लाकर देती हैं। माँ की गोद में जन्नत के हर लम्हे का अहसास होता है।

इस कविता में, माँ का प्यार हर शब्द में झलकता है। चाहे दुनिया हमें कितना भी थका दे, माँ की मुस्कान से हमें राहत मिलती है। वह हमें जन्म देती है, हमारी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखती है, और हमें हर मुश्किल से बचाने के लिए नजर उतारती है।

माँ के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए यह कविता एक आदर्श माध्यम है। माँ के प्रति हमारी भावनाएँ शब्दों से परे हैं। इस कविता के हर शब्द में माँ के प्यार की गहराई और त्याग की महानता का चित्रण है। माँ वो शक्ति है जो हर मुश्किल में भी कभी हार नहीं मानती। हर दिन माँ को खास महसूस कराने के लिए इस कविता के माध्यम से उनके प्रति आभार व्यक्त कर सकते हैं।

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