मां पर कविता: माँ की ममता का अनमोल रूप
जो अपने उजाले से पूरे संसार को रोशन कर दे,वह भोर की पहली किरण है मां। गर्मियों की तपती राहों पर,पेड़ की ठंडी छांव है मां। जिस धरती पर फूल खिलते हैं,उस पावन माटी का नाम है मां। सूखे वृक्ष में भी नया जीवन भर दे,वह फूटती हुई नयी कली है मां। अंधेरे में जो […]
जो अपने उजाले से पूरे संसार को रोशन कर दे,
वह भोर की पहली किरण है मां।
गर्मियों की तपती राहों पर,
पेड़ की ठंडी छांव है मां।
जिस धरती पर फूल खिलते हैं,
उस पावन माटी का नाम है मां।
सूखे वृक्ष में भी नया जीवन भर दे,
वह फूटती हुई नयी कली है मां।
अंधेरे में जो दिशा दिखाए,
वह पूर्णिमा की चांदनी है मां।
जीवन के पतझड़ में जो बहार लाए,
वह सुंदर वसंत है मां।
समुद्र के तूफानों में अडिग खड़ी,
वह मजबूत नाव है मां।
जीवन के महासमर में जो जीत दिलाए,
वह विजय की पताका है मां।
इस कविता में मां को भिन्न-भिन्न रूपों में दर्शाया गया है, जैसे भोर की किरण, शीतल छांव, धरा की माटी, पूर्णिमा की चांदनी, और भी बहुत कुछ। यह कविता मां के समर्पण, प्रेम, और उनकी शक्ति को एक अद्वितीय रूप में प्रस्तुत करती है।
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