नवरात्रि: देवी दुर्गा की शक्ति और भक्ति का पर्व

नवरात्रि देवी दुर्गा की नौ रातों की पूजा का पर्व है, जिसमें महिषासुर पर देवी की विजय, आत्मबल, भक्ति और सांस्कृतिक उत्सव का संगम होता है।
नवरात्रि भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। यह पर्व पूरे देश में श्रद्धा, आस्था और उमंग के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में जब भी अंधकार और बुराई बढ़े, तब देवी की तरह शक्ति और साहस के साथ उसका सामना किया जा सकता है।
नवरात्रि के पीछे की कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच युद्ध की है। वह एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसे भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था, जिससे वह किसी भी मनुष्य या भगवान के खिलाफ अजेय हो गया था। हालाँकि, ब्रह्मा से वरदान प्राप्त करने के बाद, वह घमंडी हो गया और स्वर्ग और पृथ्वी पर कहर बरपाने लगा।
देवता राक्षस को हराने में असमर्थ थे, इसलिए उन्होंने देवी दुर्गा से मदद मांगी क्योंकि वह सभी देवताओं की शक्तियों को मिलाकर बनाई गई थी और स्त्री शक्ति और शक्ति के अंतिम अवतार के रूप में उभरी थी। इसके बाद, वह एक शेर पर सवार होकर महिषासुर के साथ भीषण युद्ध करने के लिए निकल पड़ी जो नौ दिनों और रातों तक चला और आखिरकार उसने राक्षस को हरा दिया। इसलिए, हर साल लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक नवरात्रि मनाते हैं।


नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
‘नवरात्रि’ का अर्थ है ‘नौ रातें’। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर रूप के साथ जुड़ी होती है एक खास शक्ति और गुण, जैसे शौर्य, ज्ञान, करुणा, संयम और भक्ति। यह पर्व आत्मशक्ति को जागृत करने का समय होता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे भीतर भी वही शक्ति है, जो बुराई से लड़ सकती है।
नवरात्रि के दौरान क्या होता है विशेष
पूजा और उपवास: भक्तगण नवरात्रि के दौरान व्रत रखते हैं, मां दुर्गा की पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: कई राज्यों में इस समय लोकनृत्य जैसे गरबा और डांडिया आयोजित किए जाते हैं, जिनमें लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं।
दुर्गा पूजा: विशेष रूप से बंगाल, असम और पूर्वी भारत में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और पांच दिनों तक उनका भव्य उत्सव मनाया जाता है।
रामलीला और दशहरा: नवरात्रि के समाप्त होते ही दशहरा आता है, जो भगवान राम की रावण पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है।
बच्चों के लिए नवरात्रि से सीख
- सत्य और भक्ति का मार्ग अपनाकर कोई भी बुराई को हराया जा सकता है।
- कठिनाई के समय संयम और साहस बहुत जरूरी होता है।
- धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को समझना जीवन को और भी समृद्ध बनाता है।
- परिवार के साथ मिलकर त्योहार मनाने से आपसी प्रेम और एकता बढ़ती है।
नवरात्रि का सार
नवरात्रि केवल पूजा-पाठ का पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मचिंतन, अनुशासन और शक्ति के जागरण का समय है। यह त्योहार हमें यह प्रेरणा देता है कि अगर मन में विश्वास हो और दिल में भक्ति हो, तो जीवन की हर कठिनाई को मात दी जा सकती है।


इस नवरात्रि पर आप भी अपने परिवार के साथ मां दुर्गा की आराधना करें और जीवन में शक्ति, भक्ति और सकारात्मकता को अपनाएं।
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