प्यासा कौआ
गर्मियों की एक तपती दोपहर थी। सूरज आग उगल रहा था और जमीन मानो तवे की तरह जल रही थी। एक छोटे से गाँव के पास एक पुराने बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपने घोंसले में बैठा था। उसका गला सूख रहा था और प्यास से उसकी हालत खराब थी। उसने आसमान की तरफ […]
गर्मियों की एक तपती दोपहर थी। सूरज आग उगल रहा था और जमीन मानो तवे की तरह जल रही थी। एक छोटे से गाँव के पास एक पुराने बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपने घोंसले में बैठा था। उसका गला सूख रहा था और प्यास से उसकी हालत खराब थी। उसने आसमान की तरफ देखा, कहीं बारिश के आसार नहीं थे। वह तुरंत ही पानी की तलाश में उड़ पड़ा।
कौआ इधर-उधर उड़ता रहा, हर तालाब, हर कुएं को देखता रहा, पर हर जगह सूखा ही सूखा। वह थक कर चूर हो गया और सोच में पड़ गया कि आखिर क्या किया जाए। तभी उसकी नजर एक बगीचे पर पड़ी। वहाँ हरी-भरी घास और रंग-बिरंगे फूल थे। शायद यहाँ पानी मिल जाए, सोचकर वह बगीचे की ओर उड़ चला।
बगीचे में पहुंचकर उसने देखा कि एक कोने में एक पुराना घड़ा रखा था। घड़े के पास पहुंचकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन घड़े में झांकते ही उसकी उम्मीद टूट गई। पानी तो था, लेकिन बहुत थोड़ा सा, इतना कि उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुंच पा रही थी।
कौआ हताश नहीं हुआ। उसने सोचा, “हर समस्या का समाधान होता है, बस कोशिश करनी चाहिए।” उसने चारों ओर देखा और एक योजना बनाई। बगीचे में कई छोटे-छोटे कंकड़ बिखरे हुए थे। कौआ ने एक-एक कंकड़ अपनी चोंच में उठाकर घड़े में डालना शुरू किया।
धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ने लगा। कौआ कंकड़ डालता गया, पानी ऊपर आता गया। उसे अपनी मेहनत पर गर्व महसूस हो रहा था। आखिरकार, पानी घड़े के मुहाने तक आ गया। कौआ ने अपनी चोंच से पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। उसकी आँखों में संतोष की चमक थी और दिल में आत्मविश्वास की लहर।
पास ही बगीचे में खेल रहे बच्चे यह सब देख रहे थे। वे कौए की सूझबूझ और मेहनत से प्रभावित हुए। उन्होंने सीखा कि चाहे कैसी भी कठिनाई हो, धैर्य और समझदारी से हर समस्या का समाधान निकल सकता है।
कहानी से सीख: कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं माननी चाहिए। सूझबूझ और धैर्य से काम लें, तो हर समस्या का हल मिल सकता है। हमारी छोटी-छोटी कोशिशें भी बड़े बदलाव ला सकती हैं।
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