सोने का अंडा देने वाली मुर्गी

“एक गरीब किसान को एक जादुई मुर्गी मिली, जो रोज़ सोने का अंडा देती थी। लेकिन लालच के कारण उसने सब कुछ खो दिया।
एक गाँव में मोहन नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से घर में रहता था और दिन-रात खेतों में मेहनत करता था। लेकिन फिर भी उसकी आमदनी इतनी नहीं थी कि वे आराम से जीवन बिता सकें।
एक दिन मोहन को बाज़ार में कुछ मुर्गियाँ दिखीं। उसने सोचा, “अगर मैं इन मुर्गियों को पालूँ और इनके अंडे बेचूँ, तो हमारी आमदनी बढ़ सकती है।” उसने खुशी-खुशी कुछ मुर्गियाँ खरीद लीं और उन्हें घर के आँगन में बने छोटे से दड़बे में रख दिया।
अगली सुबह जब मोहन दड़बे में झाँकने गया, तो उसकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं! मुर्गियों ने अंडे दिए थे, लेकिन उनमें से एक अंडा चमक रहा था। जब उसने ध्यान से देखा, तो वह अंडा सोने का निकला। मोहन को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ।
वह भागता हुआ उस अंडे को बाजार में ले गया और उसे जौहरी के पास बेच दिया। उसे अच्छे पैसे मिले। अगले दिन फिर वही हुआ—एक और सोने का अंडा! मोहन और उसकी पत्नी बहुत खुश थे। अब उनकी गरीबी धीरे-धीरे दूर होने लगी थी।
कुछ महीनों बाद, मोहन का घर बड़ा और सुंदर हो गया। उनके पास ढेर सारा पैसा आ गया। लेकिन अब उसकी पत्नी को धैर्य नहीं था। उसने सोचा, “अगर मुर्गी रोज़ एक सोने का अंडा देती है, तो इसके पेट में और भी कई अंडे होंगे। क्यों न हम एक बार में सारे अंडे निकाल लें और जल्दी ही बहुत अमीर बन जाएँ?”
उसने मोहन से कहा, “अगर हम इस मुर्गी का पेट चीर दें, तो हमें ढेर सारे सोने के अंडे मिल जाएँगे! फिर हमें कभी काम करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।”
मोहन को भी यह विचार अच्छा लगा। उसने एक तेज़ चाकू लिया और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को पकड़ लिया। लेकिन जैसे ही उसने मुर्गी का पेट चीरा, वह स्तब्ध रह गया। मुर्गी के पेट में कोई सोने का अंडा नहीं था! वह एक साधारण मुर्गी ही थी।
अब न तो उन्हें सोने के अंडे मिल सकते थे और न ही उनकी मुर्गी जीवित रही। मोहन और उसकी पत्नी बहुत पछताए, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था।
सीख: लालच करना बुरी बात है। हमें धैर्य रखना चाहिए और जो हमें मिला है, उसकी कद्र करनी चाहिए।
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