ईमानदारी का इनाम – एक प्रेरणादायक कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम मोहन था। मोहन न सिर्फ होशियार बल्कि बेहद ईमानदार और दिल का साफ़ था। उसके हृदय में हमेशा दूसरों की मदद करने का जज्बा भरा रहता था, और इसलिए वह अपने गाँव में सबका प्रिय था। गाँव के […]
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम मोहन था। मोहन न सिर्फ होशियार बल्कि बेहद ईमानदार और दिल का साफ़ था। उसके हृदय में हमेशा दूसरों की मदद करने का जज्बा भरा रहता था, और इसलिए वह अपने गाँव में सबका प्रिय था।
गाँव के पास ही एक घना जंगल था, जो अपने रहस्यमयी सौंदर्य और खतरों के लिए जाना जाता था। एक दिन, मोहन अपने परिवार के लिए लकड़ी काटने के इरादे से जंगल की ओर चला गया। जंगल की ठंडी छांव और पक्षियों की चहचहाहट उसे बहुत भाती थी। जब वह एक बड़े से पेड़ पर चढ़कर अपनी कुल्हाड़ी से लकड़ी काटने लगा, तभी अचानक उसकी कुल्हाड़ी हाथ से फिसल गई और पास की नदी में जा गिरी।
मोहन का दिल धक-धक करने लगा। यह उसकी एकमात्र कुल्हाड़ी थी, और उसके बिना वह काम नहीं कर सकता था। हताशा में, उसने अपने हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना की, “हे भगवान, मेरी मदद करो। मेरी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई है।”
अचानक, पानी में हलचल हुई और एक सुंदर परी प्रकट हुई। उसकी चमकती हुई पोशाक और दयालु आँखें देख मोहन हैरान रह गया। परी ने उसे मुस्कुराते हुए पूछा, “तुम क्यों परेशान हो, छोटे बालक?”
मोहन ने नम्रता से अपनी समस्या परी को बताई। परी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर नदी में गोता लगाया। थोड़ी देर बाद, वह सोने की एक चमचमाती कुल्हाड़ी लेकर बाहर आई और मोहन से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
मोहन ने सिर हिला कर कहा, “नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
परी ने फिर से नदी में गोता लगाया और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आई। उसने फिर पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
मोहन ने फिर से सिर हिला कर कहा, “नहीं, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
तीसरी बार परी ने नदी में गोता लगाया और लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आई। उसने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
मोहन की आँखें खुशी से चमक उठीं। उसने खुशी-खुशी चिल्लाते हुए कहा, “हाँ, यह मेरी कुल्हाड़ी है! धन्यवाद!”
परी मोहन की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुई और उसने कहा, “तुमने ईमानदारी दिखाई है। इसलिए मैं तुम्हें सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियाँ भी देती हूँ।”
मोहन की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन यह खुशी के आँसू थे। उसने परी का धन्यवाद किया और अपनी सभी कुल्हाड़ियाँ लेकर खुशी-खुशी गाँव लौट आया। गाँव वालों ने जब उसकी कहानी सुनी, तो वे भी उसकी ईमानदारी की प्रशंसा करने लगे। मोहन की ईमानदारी की कहानी दूर-दूर तक फैल गई और वह सबके लिए एक मिसाल बन गया।
कहानी से शिक्षा: ईमानदारी हमेशा फलदायी होती है और हमें सच बोलने से कभी डरना नहीं चाहिए। ईमानदार व्यक्ति को हमेशा सम्मान और इनाम मिलता है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो।
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