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शेर आया, शेर आया: एक सीख

sheraaya

एक गाँव में एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम रमेश था। रमेश बहुत शरारती था और हमेशा गाँववालों को तंग करता रहता था। एक दिन उसने गाँववालों को बेवकूफ बनाने की सोची और चिल्लाने लगा, “शेर आया, शेर आया!” गाँववाले अपने काम छोड़कर दौड़ते हुए आए, लेकिन उन्होंने देखा कि वहाँ कोई शेर नहीं […]

एक गाँव में एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम रमेश था। रमेश बहुत शरारती था और हमेशा गाँववालों को तंग करता रहता था। एक दिन उसने गाँववालों को बेवकूफ बनाने की सोची और चिल्लाने लगा, “शेर आया, शेर आया!”

गाँववाले अपने काम छोड़कर दौड़ते हुए आए, लेकिन उन्होंने देखा कि वहाँ कोई शेर नहीं था। रमेश हंसते हुए बोला, “मैं तो मजाक कर रहा था!” गाँववाले नाराज होकर वापस चले गए।

कुछ दिनों बाद, रमेश ने फिर से वही शरारत दोहराई। “शेर आया, शेर आया!” उसने फिर से चिल्लाया। इस बार भी गाँववाले दौड़ते हुए आए और देखा कि कोई शेर नहीं था। रमेश फिर हंसते हुए बोला, “मैं फिर से मजाक कर रहा था!” गाँववाले अब और भी नाराज हो गए और उसे डांटते हुए चले गए।

फिर एक दिन, सचमुच का शेर गाँव में आ गया। रमेश ने डर के मारे चिल्लाना शुरू किया, “शेर आया, शेर आया!” लेकिन इस बार गाँववालों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्हें लगा कि रमेश फिर से मजाक कर रहा है।

शेर ने गाँव में घुसकर बहुत सारी अफरा-तफरी मचाई। रमेश दौड़ता हुआ गाँव के मुखिया के पास गया और बोला, “मुखिया जी, इस बार सच में शेर आया है!” मुखिया ने कहा, “हम तुम्हारी बात पर अब कैसे यकीन करें? तुम हमेशा झूठ बोलते हो।”

लेकिन मुखिया ने रमेश की आँखों में डर देखा और गाँववालों को शेर से निपटने के लिए बुला लिया। सभी ने मिलकर शेर को भगाया और गाँव को बचाया।

रमेश ने उस दिन एक बड़ी सीख ली कि झूठ बोलने से किसी का भला नहीं होता। उसने गाँववालों से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगा।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, ताकि जब हमें सच में किसी की जरूरत हो, तो लोग हमारी बात पर विश्वास करें और हमारी मदद करें।

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