पैसे का घमंड: एक शिक्षा
जतिन की कार स्कूल के गेट के पास पहुंची। जतिन गाड़ी से उतरने से पहले अपना बैग और बोतल सम्हाल रहा था। तभी गाड़ी के बाहर एक भिखारिन गोद में बच्चा लिये आकर खड़ी हो गई और शीशे पर खटखट करने लगी। जतिन को बहुत गुस्सा आया वह गाड़ी से उतरा और बोला – ‘‘अरे […]
जतिन की कार स्कूल के गेट के पास पहुंची। जतिन गाड़ी से उतरने से पहले अपना बैग और बोतल सम्हाल रहा था। तभी गाड़ी के बाहर एक भिखारिन गोद में बच्चा लिये आकर खड़ी हो गई और शीशे पर खटखट करने लगी।
जतिन को बहुत गुस्सा आया वह गाड़ी से उतरा और बोला – ‘‘अरे गाड़ी रुकी नहीं कि तुम लोग मांगने आ जाते हो। शर्म नहीं आती।’’
भिखारिन ने कहा – ‘‘बेटा कल से कुछ नहीं खाया है। कुछ पैसे दे दो बच्चा भी भूखा है।’’
जतिन ने फटकारते हुए कहा – ‘‘चल भाग यहां से मुझे वैसे ही देर हो रही है।’’
तभी पास में खड़ा उसका दोस्त रवि बोला – ‘‘ये लो मेरा लंच तुम खा लेना और ये पैसे भी रख लो बच्चे के लिये दूध खरीद लेना।’’
रवि को देख कर जतिन थोड़ा सा झेंप जाता है। वह भिखारिन खाना और पैसे लेकर दुआऐं देकर चली गई।
जतिन ने कहा – ‘‘यार तू क्यों इन लोगों को सर पर चढ़ा लेता है। तुझे पता भी है कल से रोज तेरे पीछे पड़ जायेगी, वैसे अब तू खायेगा क्या खाना और पैसे तो तूने उसे दे दिये।’’
रवि बोला – ‘‘हम जिस लायक हैं हमें औरों की मदद करनी चाहिये। आज का लंच तेरे टिफिन में से खा लूंगा। क्यों नहीं खिालायेगा क्या?’’
यह सुनकर जतिन जोर से हस पड़ा उसे देख कर रवि भी हस पड़ा फिर दोंनो अपनी क्लास की ओर बढ़ गये।
अगले दिन से रवि ज्यादा खाना लाने लगा और उस भिखारिन को देने लगा। जतिन को यह सब पसंद नहीं था।
एक दिन उसने रवि से फिर बात की – ‘‘यार तेरे पर पैसे फालतू हैं क्या जो इन लोगों पर लुटाता रहता है।’’
रवि बोला – ‘‘मेरे पास तो इतने पैसे नहीं हैं। लेकिन अच्छे काम के लिये कभी पीछे नहीं हटना चाहिये। मैंने अपनी मां को सारी बात बताई अब वो उसके लिये अलग से खाना बना देती हैं। साथ ही बच्चे के लिये भी कुछ न कुछ भेज देती हैं। अब तो इनसे एक रिश्ता सा हो गया है।’’
मेरी बात मान एक बार तू भी किसी की मदद करके देख तुझे कितना मजा आयेगा।’’
जतिन कहता है – ‘‘मेरे पापा कहते हैं कि हमारी मेहनत का पैसा हम किसी पर क्या लुटायें मेरे परिवार में कोई भी दाना वगैरह नहीं करता है, और अगर करता भी है तो टैक्स बचाने के लिये।’’
रवि हस कर जबाब देता है – ‘‘ठीक है अपनी अपनी सोच है हम क्या कर सकते हैं।’’
इस पर जतिन बोलता है – ‘‘देख ये भिखारी ऐसे ही रहेंगे और तुझे भी लूट लूट कर भिखारी बना देंगे मेरे पास तो पैसे की कभी कमी नहीं होगी। पर तेरा भविष्य मुझे खतरे में दिखाई दे रहा है।’’
रवि कहता है – ‘‘एक काम करते हैं। कॉलिज खत्म होने के बाद एक बार यहीं मिलने आयेंगे। फिर बतायेंगे कि कौन कहां तक पहुंचा।’’
जतिन, रवि से मिलने का वादा कर लेता है।
कुछ ही सालों में दोंनो दोस्त अलग अलग कॉलेज में एडमिशन ले लेते हैं और अपनी पढ़ाई में लग जाते हैं।
कॉलेज के बाद दोंनो बिछुड़ जाते हैं। एक दिन जतिन अपने स्कूल के सामने से गुजर रहा था। तभी उसने देखा कि स्कूल के पास ही एक छोटी सी दुकान है बच्चों के खाने पीने का समान बेचने की उस पर एक छोटा सा लड़का और उसकी मां बैठे थे।
जतिन पहचान गया कि ये तो वही भिखारिन है जिसे रवि अक्सर पैसे दिया करता था। उन्हें देख कर उसे रवि की याद आ गई। लेकिन वह उसे कहां ढूंढे। कुछ ही देर में वो अपने ऑफिस पहुंच जाता है।
ऑफिस में उसका मैंनेजर जतिन से मिटिंग करता है – ‘‘सर आपके पापा के जाने के बाद पूरा बिजनिस ही बैठ गया। एक गलत साईट पर बिल्डिंग बना कर सारा पैसा डूब गया। अब एक प्रोजेक्ट है अगर यह हमें मिल जाये तो काम बन सकता है वरना दो महीने में कंपनी और घर दोंनो नीलाम हो जायेंगे।’’
जतिन बोलता है – ‘‘मैं जानता हूं। पता नहीं किसकी नजर लग गई हमारे बिजनेस को आप इस प्रोजेक्ट की डिटेल मुझे भेज दो कल उस नये इंजिनियर से मैं खुद मिल कर उसे प्लान समझाता हूं। हमें किसी भी कीमत पर ये प्रोजेक्ट लेना ही पड़ेगा।
अगले दिन जतिन जल्दी से तैयार होकर प्रोजेक्ट की फाईल लेकर सरकारी दफ्तर में पहुंच जाता है।
वहां वह इंतजार करने के बाद इंजिनियर के केबिन में पहुंचता है। जतिन बोलता है – ‘‘सर ये प्रोजेक्ट रिर्पोट देखिये हमसे अच्छी बिल्डिंग कोई नहीं बना सकता एक बार देख तो लीजिये सर।’’
तभी वह गौर से देखता है। यह तो उसका दोस्त रवि था। उसे देखकर जतिन बहुत खुश होता है। रवि भी सीट से उठ कर उससे गले मिलता है।
जतिन कहता है – ‘‘अब तो मुझे कोई चिंता नहीं है, तू है तो मेरा सारा काम हो जायेगा।’’
यह सुनकर रवि कहता है – ‘‘जतिन ये प्रोजेक्ट मैं तेरी कंपनी को नहीं दे सकता हूं। तेरी कंपनी ने जो बेइमानी से गलत जगह बिल्डिंग बनाई उससे तुम्हारी रेपोटेशन खराब हो चुकी है। मैं तो क्या इस शहर में तुम्हें कोई भी प्रोजेक्ट नहीं मिलेगा।’’
यह सुनकर जतिन रवि के पैर पकड़ लेता है – ‘‘यार ऐसा मत बोल मैं सड़क पर आ जाउंगा। तुझे देख कर मुझे एक उम्मीद बंधी है। अगर ये प्रोजेक्ट न मिला तो मैं बर्बाद हो जाउंगा।’’
रवि, जतिन से कहता है – ‘‘चल मेरे साथ।’’
वह जतिन को लेकर उसी स्कूल के सामने पहुंच जाता है। वहां जाकर रवि कहता है – ‘‘पहचानता है इस औरत को जिसे तूने कभी भीख नहीं दी हमेशा फटकार देता था। मैंने इसकी थोड़ी सी मदद की और आज ये दुकान पर सामान बेच कर अपनी रोजी रोटी चला रही है। कोई मजबूरी में भीख मांगता है, तो हमें उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिये।
आज देख भीख तो तू भी मुझसे मांग रहा है। इसमें और तुझमें क्या फर्क रह गया। मैं तुझे नीचा नहीं दिखा रहा लेकिन तूने सिर्फ पैसा कमाया दुआ नहीं आज वह भी तेरे पास नहीं है। जिस पैसे पर तू घमंड कर रहा था। आज उसी ने तुझे बर्बाद कर दिया।’’
यह सुनकर जतिन की आंखों से आंसू बहने लगे। वह बोला – ‘‘हां तू ठीक कह रहा है। मेरे परिवार ने कभी किसी की मदद नहीं की। यही शिक्षा उन्होंने मुझे दी।’’
रवि, जतिन को लेकर उसी दुकान पर पहुंच जाता है। वह औरत उन्हें देख कर उनके पास आ जाती है – ‘‘भैया आप आईये बैठ्यिे मैं अभी आपके लिये कुछ लाती हूं।’’
रवि बोला – ‘‘नहीं मांजी मैं तो बस आपसे मिलने आया था। कोई परेशानी तो नहीं है।’’
वह औरत बोली – ‘‘भैया आपके कारण हम भिखारी की जिल्लत से बाहर निकल आये। मेरा बेटा अब स्कूल जाता है। यहीं पास ही में हमने एक कमरा किराये पर ले लिया है। मैं अपने बेटे को पढ़ा कर आपके जैसा अफसर बनाना चाहती हूं। पूरी जिन्दगी भी लगी रहूं तो आपका अहसान नहीं चुका सकती।’’
उनसे मिल कर जतिन को भी अच्छा लगा वहां से कुछ दूर जाकर वह बोला – ‘‘रवि अब मैं किसी से भीख नहीं मांगूगा। नये सिरे से शुरूआत करूंगा। इमानदारी से और अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान जरूर करूंगा।’’
रवि बोला – ‘‘अगर तू सच्चाई और इमानदारी से काम करे तो ये प्रोजेक्ट मैं तुझे दिलवा सकता हूं।’’
जतिन अपने दोस्त के गले लग कर रोने लगता है। इन आंसुओं में उसका घमंड भी बह गया था।
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