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नकलची बंदर

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एक समय की बात है, एक हरे-भरे जंगल में एक शरारती और नकलची बंदर रहता था। उसका नाम मोंटू था। मोंटू की आदत थी कि वह जो भी किसी को करता देखता, उसकी नकल करने लगता। यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी। जंगल के किनारे एक खूबसूरत गाँव था। वहाँ के लोग अक्सर जंगल में […]

एक समय की बात है, एक हरे-भरे जंगल में एक शरारती और नकलची बंदर रहता था। उसका नाम मोंटू था। मोंटू की आदत थी कि वह जो भी किसी को करता देखता, उसकी नकल करने लगता। यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी।

जंगल के किनारे एक खूबसूरत गाँव था। वहाँ के लोग अक्सर जंगल में पिकनिक मनाने आते थे। एक दिन, कुछ बच्चे अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने जंगल आए। उनके पास खाने-पीने की चीज़ें, खेल-कूद का सामान और रंग-बिरंगी टोपियाँ थीं। उन्होंने एक सुंदर जगह चुनी, चटाई बिछाई, और खाने-पीने का मज़ा लेने लगे।

मोंटू दूर एक पेड़ पर बैठा यह सब देख रहा था। उसे बच्चों की रंग-बिरंगी टोपियाँ बहुत पसंद आईं। वह चुपके से उनके पास आया और मौका पाकर एक टोकरी में रखी टोपियों में से एक उठा ली। बच्चों ने देखा कि मोंटू उनकी टोपियों के साथ खेल रहा है, तो वे हँसने लगे।

बच्चों में से एक, जिसका नाम रोहन था, ने अपनी टोपी उतारकर हवा में उछाली। मोंटू ने भी तुरंत अपनी टोपी उतारी और हवा में उछाल दी। यह देख कर बच्चे और भी ज़ोर से हँसने लगे। रोहन ने कहा, “देखो, मोंटू हमारी नकल कर रहा है!” अब बच्चों ने अपनी-अपनी टोपी उतार कर मोंटू की ओर फेंकी। मोंटू ने भी अपनी टोपी फेंकी और बच्चों की ओर देखने लगा।

बच्चों ने मोंटू की सारी टोपियाँ वापस ले लीं और उसे टोपियों के खेल में उलझा कर बहुत मज़ा किया। अंत में, बच्चों ने मोंटू को कुछ केले दिए और उसके साथ खेलते-खेलते उसे प्यार से विदा ली।

मोंटू ने बच्चों के प्यार और हँसी-मजाक से बहुत कुछ सीखा। उसे समझ में आया कि नकल करना हमेशा सही नहीं होता। उसने सोचा कि अगली बार से वह सोच-समझकर ही कुछ करेगा।

इस तरह, नकलची बंदर मोंटू ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा और वह अब और भी समझदार हो गया। बच्चों के साथ बिताए समय ने उसके जीवन में मिठास भर दी और उसने हमेशा के लिए एक प्यारी याद सहेज ली।

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