हथेलियों पर बाल क्यों नहीं? अकबर और बीरबल की बुद्धिमानी
अकबर और बीरबल की यह चतुराई भरी कहानी हथेलियों पर बाल न होने के रोचक सवाल और जवाब पर आधारित है।
बादशाह अकबर शिकार से लौटे थे और फतेहपुर सीकरी के दीवान-ए-खास में दरबारियों के साथ बैठे हुए थे। वे बेहद प्रसन्न और शांत मनोदशा में थे। अपने चहेते बीरबल की ओर मुड़कर उन्होंने स्नेहपूर्वक कहा, “बीरबल, तुम बहुत चतुर हो।” और फिर बिना जवाब का इंतजार किए, उन्होंने बात दोहराई, “हां, तुम बहुत चतुर हो, यह तो सभी जानते हैं।”
बीरबल ने बादशाह की प्रशंसा सुनकर विनम्रता से सिर झुकाया। तभी अकबर ने चुनौती भरे अंदाज में पूछा, “लेकिन बीरबल, यह तो मानना पड़ेगा कि तुम्हें हर सवाल का जवाब नहीं पता होगा।” उन्होंने अपने हाथ को ऊपर की ओर पलटकर लाल ईरानी कालीन पर रखा और पूछा, “मेरी हथेली पर बाल क्यों नहीं हैं? शरीर के हर हिस्से पर बाल हैं, लेकिन हथेली पर क्यों नहीं? क्या तुम इसका जवाब दे सकते हो?”
अकबर अपने सवाल पर बेहद प्रसन्न थे और सिंहासन पर आराम से पीछे की ओर टिक गए। बीरबल कुछ देर चुप रहे। मियां मुल्ला दो पियाज़ा ने राजा टोडर मल को धीरे से कोहनी मारी और कहा, “लगता है, इस बार हमारा चतुर बीरबल भी उलझन में पड़ गया है!”
तभी बीरबल ने अकबर से अनुमति मांगी, “जहांपनाह, क्या मैं आपके सवाल का जवाब दे सकता हूं?”
“बिल्कुल, क्यों नहीं!” अकबर ने कहा।
बीरबल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “जहांपनाह, आप तो सबसे दयालु और उदार शासक हैं। आपसे बड़ा दानवीर दूसरा कोई नहीं। आपकी कृपा से कोई गरीब या जरूरतमंद ऐसा नहीं होगा जिसने आपकी तारीफ न की हो। आपकी हथेलियां इतनी दयालु और उदार हैं कि हर समय सिक्के उन पर से गुजरते रहते हैं। इसी कारण वहां बाल उगने का कोई अवसर ही नहीं मिलता।”
अकबर यह सुनकर खुश भी हुए और निराश भी। खुश इसलिए कि बीरबल का जवाब बेहद चतुर था, और निराश इसलिए कि बीरबल ने फिर से उन्हें मात दे दी।
लेकिन अकबर आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थे। उन्होंने तुरंत दूसरा सवाल दागा, “अगर ऐसा है, बीरबल, तो तुम्हारी हथेलियों पर भी बाल क्यों नहीं हैं? तुम तो इतने बड़े दानवीर नहीं हो!”
बीरबल थोड़ी देर के लिए चौंके, लेकिन फिर उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, “जहांपनाह, यह सही है कि मैं दान नहीं करता, लेकिन मैं लेता तो हूं।” उन्होंने अपनी हथेलियां अकबर के सामने फैलाते हुए कहा, “मेरी हथेलियां आपकी उदारता से हमेशा भरी रहती हैं। इन्हें भी बाल उगाने का मौका नहीं मिलता।”
अकबर ने यह सुनकर ठंडी आह भरी और कहा, “बीरबल, तुमसे भिड़ना वाकई मुश्किल है।” फिर भी, उन्होंने एक और सवाल दागने की ठानी। दरबारियों की ओर देखते हुए उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा, “बीरबल, मान लिया तुम्हारी बात सही है। लेकिन मेरे बाकी दरबारियों की हथेलियों पर भी बाल क्यों नहीं हैं?”
इस बार बीरबल ने पूरे दो मिनट तक कुछ नहीं कहा। अकबर मन ही मन बेहद खुश हो गए। उन्होंने सोचा, “इस बार मैंने बीरबल को फंसा ही लिया!” मुल्ला दो पियाज़ा ने टोडर मल को फिर कोहनी मारी और बोले, “अब बीरबल क्या करेगा?”
तभी बीरबल ने गला साफ किया और थोड़ा झिझकते हुए बोले, “जहांपनाह, मेरा उद्देश्य अपने साथी दरबारियों का अपमान करना नहीं है, लेकिन मुझे आपका सवाल तो जवाब देना ही होगा। बात यह है कि आपके बाकी दरबारी ईर्ष्या और चिंता में अपनी हथेलियां मलते रहते हैं कि आप मुझ पर इतनी कृपा क्यों करते हैं। इस कारण उनकी हथेलियों पर भी बाल उगने का कोई अवसर नहीं मिलता!”
दीवान-ए-खास अकबर की जोरदार हंसी से गूंज उठा। उन्होंने आगे झुककर बीरबल के कंधे पर थपकी दी और कहा, “बीरबल, तुम एक लाख में एक हो। तुम्हारे जैसे चतुर इंसान को मैं अपने खजाने के सारे सिक्कों के बदले भी नहीं देना चाहूंगा!”
Leave a Reply