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सिंडरेला की कहानी

Cinderellas_Story_4 (1)

बहुत समय पहले की बात है, एक दूर देश में सिंडरेला नाम की एक प्यारी लड़की रहती थी। वह न केवल सुंदर थी, बल्कि बेहद समझदार और दयालु भी थी। दुर्भाग्यवश, उसकी माँ का बचपन में ही देहांत हो गया था। उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली, और अब सिंडरेला अपनी सौतेली माँ और […]

बहुत समय पहले की बात है, एक दूर देश में सिंडरेला नाम की एक प्यारी लड़की रहती थी। वह न केवल सुंदर थी, बल्कि बेहद समझदार और दयालु भी थी। दुर्भाग्यवश, उसकी माँ का बचपन में ही देहांत हो गया था। उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली, और अब सिंडरेला अपनी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनों के साथ रहने लगी।

सौतेली माँ और बहनों को सिंडरेला बिल्कुल पसंद नहीं थी। उसकी सुंदरता और सरलता से वे हमेशा जलती थीं। जब उसके पिता को एक काम के सिलसिले में दूर जाना पड़ा, तो सौतेली माँ और बहनों ने उसे नौकरानी की तरह काम पर लगा दिया। उसका खूबसूरत कमरा छीन लिया गया और उसे स्टोर रूम में सोने के लिए कह दिया गया। लेकिन सिंडरेला ने कभी हार नहीं मानी। वह अपने छोटे दोस्तों, चूहों और पक्षियों से बातें करती और अपना दुख भूलने की कोशिश करती।

एक दिन, राज्य के राजा ने घोषणा की कि राजकुमार की शादी के लिए महल में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें नगर की सभी युवतियों को आमंत्रित किया गया है। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनें उत्साहित होकर समारोह की तैयारी में जुट गईं। उन्होंने नए कपड़े सिलवाए और खूब सज-धज कर महल जाने लगीं। सिंड्रेला ने भी उनसे समारोह में जाने की अनुमति मांगी, लेकिन उसे मना कर दिया गया।

जैसे ही उसकी सौतेली माँ और बहनें चली गईं, सिंडरेला उदास होकर रोने लगी। तभी एक अद्भुत रोशनी के साथ उसकी परी गॉडमदर प्रकट हुई। उसने सिंड्रेला को सांत्वना दी और कहा कि वह भी समारोह में जा सकती है। उसने अपने जादू से एक कद्दू को बग्गी में और चूहों को घोड़ों में बदल दिया। सिंड्रेला को एक सुंदर गाउन और चमचमाते जूते पहनाए गए। परी ने सिंड्रेला को चेतावनी दी कि उसे रात 12 बजे से पहले घर लौटना होगा, क्योंकि तब जादू का असर खत्म हो जाएगा।

महल में सिंडरेला के प्रवेश ने सबका ध्यान आकर्षित किया। वह इतनी सुंदर लग रही थी कि उसकी सौतेली माँ और बहनें भी उसे पहचान नहीं पाईं। राजकुमार ने उसे देखते ही उसके साथ नृत्य करने की इच्छा जताई। सिंड्रेला राजकुमार के साथ नाचते-नाचते समय का ध्यान ही भूल गई। जैसे ही घड़ी ने 12 बजने की घंटी बजाई, उसे परी की चेतावनी याद आ गई और वह घबराकर महल से भाग गई।

भागते समय उसका एक जूता महल के बाग में छूट गया। अगली सुबह, राजकुमार ने अपनी सेना को पूरे राज्य में यह जूता लेकर यह पता लगाने के लिए भेजा कि वह कौन थी। जब सिपाही सिंडरेला के घर पहुंचे, तो उसकी सौतेली माँ ने उसे स्टोर रूम में बंद कर दिया ताकि वह जूता न पहन सके।

जब सिपाही जूता लेकर घर में आए तो उसकी दोनों बहनों ने उस जूते को पहनने की कोशिश की, लेकिन वो दोनों नाकाम रहीं। वहीं, निराश होकर सिंड्रेला रोने लगी। उसे रोता देख, उसके चूहे मित्र को एक उपाय सूझा। चूहों ने उसकी मदद की और उसे बाहर निकलने का रास्ता दिखाया। जैसे ही उसने जूता पहना, वह उसके पैर में बिल्कुल फिट आया। सिपाही उसे लेकर महल पहुंचे, जहाँ राजकुमार ने उससे शादी का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी उसे स्वीकार कर लिया।

सिंड्रेला और राजकुमार की शादी हो गई और वे खुशी-खुशी महल में रहने लगे।

कहानी से सीख:

कभी हार मत मानो। उम्मीद और अच्छाई का रास्ता हमेशा एक नई सुबह की ओर ले जाता है।

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