एक मित्रता और विश्वास की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। दो बहुत पक्के सिख दोस्त एक साथ जंगल से गुजर रहे थे। रास्ता बहुत खतरनाक और सुनसान था। जैसे-जैसे सूरज ढलने लगा, उन्हें डर लगने लगा, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। अचानक, उन्होंने देखा कि सामने से एक भालू आ रहा है। यह देखकर एक दोस्त तेजी […]
बहुत समय पहले की बात है। दो बहुत पक्के सिख दोस्त एक साथ जंगल से गुजर रहे थे। रास्ता बहुत खतरनाक और सुनसान था। जैसे-जैसे सूरज ढलने लगा, उन्हें डर लगने लगा, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा।
अचानक, उन्होंने देखा कि सामने से एक भालू आ रहा है। यह देखकर एक दोस्त तेजी से सबसे नजदीकी पेड़ की ओर दौड़ा और जल्दी से उस पर चढ़ गया। दूसरा दोस्त पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था, इसलिए उसने मरे हुए का नाटक करते हुए जमीन पर लेट गया। भालू ने उसके पास आकर उसे सूंघा, और मरा हुआ समझकर वहां से चला गया।
जब भालू चला गया, तो पेड़ पर चढ़ा दोस्त नीचे उतरा और उसने अपने दोस्त से पूछा, “भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?”
दूसरे दोस्त ने जवाब दिया, “भालू ने कहा कि उन दोस्तों पर कभी भरोसा मत करना जो मुश्किल वक्त में तुम्हारा साथ नहीं देते। जो खुद की जान बचाने के लिए तुम्हें छोड़ देते हैं, वे सच्चे दोस्त नहीं होते।”
पहले दोस्त को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने अपने मित्र से माफी मांगते हुए कहा, “मुझे माफ कर दो, मैं अपनी गलती पर शर्मिंदा हूं।”
दोस्त ने मुस्कराते हुए कहा, “कोई बात नहीं, मैं जानता हूं कि तुमने डर के मारे ऐसा किया। चलो, अब हम हमेशा साथ रहेंगे और एक-दूसरे का ख्याल रखेंगे।”
इस घटना के बाद दोनों दोस्तों की दोस्ती और मजबूत हो गई और उन्होंने हमेशा एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा किया।
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