अनमोल धरोहर
बीरबल ने साबित किया कि आस्था सबसे बड़ी ताकत है। जानिए, कैसे उन्होंने अकबर को यह सिखाया।
एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में दो पुर्तगाली पादरियों के साथ बात कर रहे थे। उनकी चर्चा देर रात तक चलती रही। पादरियों की बातें गहरी थीं, और अकबर के तर्क उनसे भी ज्यादा गहरे।
लेकिन बीरबल को नींद आने लगी थी। वह बार-बार जम्हाई ले रहे थे, जिसे देखकर अकबर उन्हें नाराज नजरों से देखते। आखिरकार, बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, मुझे लगता है कि अल्लाह से भी बड़ी एक चीज़ है।”
अकबर ने हैरानी से पूछा, “अल्लाह से बड़ी? और वह क्या है, बीरबल?”
“आस्था, जहाँपनाह,” बीरबल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
अकबर को यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा। “बीरबल, क्या तुम मजाक कर रहे हो?” उन्होंने पूछा।
“नहीं, जहाँपनाह। मुझे दो महीने दीजिए। मैं इसे साबित कर दूंगा,” बीरबल ने आत्मविश्वास से कहा।
बीरबल की योजना
अगले ही दिन बीरबल ने एक योजना बनाई। उन्होंने फतेहपुर सीकरी से थोड़ी दूर एक छोटा मंदिर बनवाया। वहाँ एक पुजारी को रखा और उसे सिखाया कि क्या कहना है।
फिर बीरबल ने बादशाह अकबर की एक जोड़ी जूतियाँ लीं। उन्होंने उन जूतियों को एक साधारण चादर में लपेटा और मंदिर में रख दिया।
जल्द ही, लोग उस मंदिर की तरफ आकर्षित होने लगे। जब भी कोई पूछता कि यह मंदिर किसका है, पुजारी कहता, “यह संत अब्दुल करीम का मंदिर है। वे बहुत पवित्र व्यक्ति थे। वे मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान स्वर्ग सिधार गए। ये उनकी पवित्र धरोहरें हैं।”
पुजारी ने यह भी कहा, “जो भी यहाँ आकर प्रार्थना करता है, उसकी समस्याओं का समाधान हो जाता है। बीमार लोग ठीक हो जाते हैं।”
लोग इन बातों पर भरोसा करने लगे। कोई अपने बीमार बच्चे को लेकर आया, तो कोई अपनी परेशानियों का हल मांगने। जैसे-जैसे मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ी, दूर-दूर से लोग आने लगे।
बादशाह का दौरा
दो महीने बाद, अकबर को भी इस मंदिर की खबर मिली। उन्होंने बीरबल से कहा, “सुना है, इस मंदिर की धरोहरें बहुत चमत्कारी हैं। चलो, हम भी जाकर देखते हैं।”
बीरबल मुस्कुराए और कहा, “जी, जहाँपनाह।”
जब अकबर मंदिर पहुँचे, तो उन्होंने श्रद्धा से आँखें बंद कीं और झुककर प्रणाम किया। फिर उन्होंने पुजारी से कहा, “मुझे वह पवित्र धरोहर दिखाओ।”
इससे पहले कि पुजारी कुछ कहता, बीरबल ने आगे बढ़कर वह चादर उठाई और बोले, “जहाँपनाह, मुझसे माफ़ी चाहें। ये पवित्र धरोहर कुछ और नहीं, बल्कि आपकी अपनी जूतियाँ हैं!”
बीरबल का सबक
अकबर हैरानी से बोले, “मेरी जूतियाँ? लेकिन लोग कह रहे थे कि ये चमत्कार कर रही हैं!”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, यह चमत्कार नहीं, बल्कि आस्था की ताकत है। लोगों ने माना कि ये किसी संत की जूतियाँ हैं। उनकी आस्था ने उन्हें चमत्कार दिखाए। यही साबित करता है कि आस्था सबसे बड़ी है।”
अकबर पहले नाराज हुए, फिर हंसने लगे। “बीरबल, तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि तुम्हारी बुद्धि अनोखी है।”
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