अलीबाबा और चालीस चोर
बहुत समय पहले फारस देश में अलीबाबा और कासिम नाम के दो भाई रहते थे। उनके पिता एक सफल व्यापारी थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद से दोनों भाइयों के जीवन में काफी बदलाव आ गया। कासिम, जो बड़ा भाई था, बहुत लालची और स्वार्थी था। उसने धोखे से पूरे व्यापार को अपने नाम कर […]
बहुत समय पहले फारस देश में अलीबाबा और कासिम नाम के दो भाई रहते थे। उनके पिता एक सफल व्यापारी थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद से दोनों भाइयों के जीवन में काफी बदलाव आ गया। कासिम, जो बड़ा भाई था, बहुत लालची और स्वार्थी था। उसने धोखे से पूरे व्यापार को अपने नाम कर लिया और अलीबाबा को घर से बाहर निकाल दिया।
अलीबाबा, जो नेकदिल और ईमानदार था, अब एक नई बस्ती में अपनी पत्नी के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहने लगा। वह रोज जंगल में लकड़ियाँ काटकर लाता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट पालता। हालाँकि, गरीबी ने उसे कभी निराश नहीं किया और वह मेहनत से अपना जीवन यापन कर रहा था।
जंगल में रहस्यमयी गुफा
एक दिन, जब अलीबाबा जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था, उसने अचानक घोड़ों की टापों की आवाज़ सुनी। उसने देखा कि 40 घुड़सवार, जिनके पास धन की पोटलियाँ और खंजर थे, तेजी से उसकी ओर आ रहे थे। अलीबाबा ने तुरंत समझ लिया कि ये सभी चोर हैं। वह जल्दी से एक पेड़ के पीछे छिप गया और उन्हें ध्यान से देखने लगा।
घुड़सवार एक पहाड़ के पास जाकर रुक गए। उनके सरदार ने जोर से कहा, “खुल जा सिम-सिम!” और चमत्कारिक रूप से पहाड़ में एक गुफा का दरवाजा खुल गया। सभी चोर गुफा के अंदर चले गए और दरवाजा बंद हो गया।
यह देख अलीबाबा आश्चर्यचकित रह गया। कुछ समय बाद, गुफा का दरवाजा फिर से खुला और चोर बाहर निकलकर चले गए। अलीबाबा को अब यह जानने की इच्छा थी कि गुफा के अंदर क्या है। उसने गुफा के पास जाकर वही जादुई शब्द बोले, “खुल जा सिम-सिम!” और गुफा का दरवाजा खुल गया।
खजाने की खोज
गुफा के अंदर जाते ही अलीबाबा की आँखें चमक उठीं। वहाँ चारों तरफ सोने की गिन्नियाँ, अशर्फियाँ, गहने और अन्य बहुमूल्य वस्तुएँ बिखरी पड़ी थीं। उसे समझ में आ गया कि यह चोरों का छिपा हुआ खजाना है। वह जल्दी से कुछ सोने की अशर्फियाँ अपनी झोली में भरकर घर लौट आया।
घर पहुँचकर अलीबाबा ने अपनी पत्नी को सब कुछ बताया। उसकी पत्नी आश्चर्यचकित रह गई और उसने सोने की अशर्फियों को गिनना शुरू कर दिया। अलीबाबा ने उसे समझाया कि इतनी सारी अशर्फियाँ गिनना मुश्किल होगा। उन्होंने तय किया कि वे उन्हें ज़मीन में छिपा देंगे ताकि कोई उन्हें चुरा न सके।
अलीबाबा की पत्नी ने सोने की अशर्फियों को तोलने के लिए कासिम के घर से तराजू उधार लेने का सोचा। वह कासिम की पत्नी के पास गई और तराजू माँगा। कासिम की पत्नी को इस बात पर शक हुआ कि इतने गरीब लोग अचानक इतनी सारी अशर्फियाँ कैसे ला सकते हैं। उसने तराजू के नीचे चिपचिपा पदार्थ लगा दिया ताकि पता चल सके कि क्या तोला जा रहा है।
लालच का परिणाम
जब कासिम की पत्नी ने तराजू को देखा, तो उसमें एक सोने की अशर्फी चिपकी हुई थी। उसने यह बात अपने पति कासिम को बताई। कासिम और उसकी पत्नी ने जलन और लालच के कारण रात भर सो नहीं पाए। अगले दिन सुबह, कासिम अलीबाबा के घर गया और उससे धन का रहस्य पूछने लगा।
अलीबाबा ने पहले तो बात टालने की कोशिश की, लेकिन कासिम ने उसे धमकाया कि अगर उसने सच नहीं बताया, तो वह सबको बता देगा कि अलीबाबा चोर है। अलीबाबा ने आखिरकार सच्चाई बता दी।
लालच में अंधा होकर कासिम ने गुफा से खजाना हथियाने का निर्णय लिया। अगले दिन वह गुफा पहुँचा, अपने साथ एक गधा भी ले गया ताकि ज्यादा से ज्यादा खजाना ले जा सके। उसने गुफा के सामने जाकर कहा, “खुल जा सिम-सिम!” और दरवाजा खुल गया। कासिम ने बोरियों में सोने की सिक्के भरे, लेकिन बाहर निकलते समय वह जादुई शब्द भूल गया।
गुफा में फंसे कासिम ने निकलने की कई कोशिशें कीं, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला। कुछ समय बाद, जब चोर वापस आए, तो उन्होंने गुफा के बाहर एक गधा देखा और समझ गए कि कोई अंदर है। उन्होंने कासिम को ढूंढकर मार डाला।
अलीबाबा का साहस
जब कासिम घर नहीं लौटा, तो उसकी पत्नी चिंतित हो गई। वह अलीबाबा के घर गई और उससे कासिम को खोजने की विनती की। अलीबाबा गुफा तक गया, जहाँ उसने अपने भाई के गधे को देखा। वह समझ गया कि कासिम ने उसके शब्दों का उपयोग करके गुफा में प्रवेश किया था और अब मुसीबत में है।
अलीबाबा ने गुफा के अंदर जाकर अपने भाई की लाश देखी। उसने चुपचाप कासिम के शरीर को घर लाकर बिना किसी को बताए उसका अंतिम संस्कार किया। कासिम की पत्नी के आग्रह पर, अलीबाबा और उसकी पत्नी ने कासिम का व्यापार संभाल लिया और उसके परिवार का ख्याल रखने लगे।
चोरों की योजना
चोरों को जब गुफा में कासिम की लाश नहीं मिली, तो वे समझ गए कि उनके खजाने का रहस्य कोई और भी जानता है। उन्होंने गाँव में जाकर पता किया कि हाल ही में किसके घर में अचानक से कोई परिवर्तन आया है। जल्द ही, उन्हें अलीबाबा के घर का पता चल गया।
चोरों के सरदार ने अलीबाबा के घर के बाहर एक क्रॉस का निशान बना दिया ताकि रात में वे उसका घर पहचान सकें। लेकिन अलीबाबा ने जब अपने घर के बाहर क्रॉस देखा, तो वह समझ गया कि चोरों ने उसे ढूंढ लिया है। उसने चालाकी से पूरे मोहल्ले के घरों के बाहर भी वही निशान बना दिया।
रात में जब चोर आए, तो वे उलझन में पड़ गए क्योंकि सभी घरों पर वही निशान था। निराश होकर, वे वापस चले गए। लेकिन चोरों का सरदार हार मानने वालों में से नहीं था। उसने मोहल्ले में अपने एक आदमी को भेजकर पता लगवाया कि कौन अचानक अमीर हो गया है।
आखिरी योजना
जल्द ही चोरों के सरदार को अलीबाबा के बारे में पता चल गया। उसने एक नई योजना बनाई। वह एक तेल व्यापारी बनकर अलीबाबा के घर गया और अपने साथ 40 पीपों में से 39 में चोरों को छिपाकर ले गया। एक पीपा में तेल था। उसने अलीबाबा से अनुरोध किया कि वह रात भर उसके घर पर रुक सकता है। अलीबाबा ने दयालुता से उसे ठहरने की अनुमति दी।
अलीबाबा की नौकरानी, मरजाना, को उस व्यापारी पर शक हुआ। उसने सारे पीपों को खटखटाया और समझ गई कि उनमें चोर छिपे हुए हैं। मरजाना ने जल्दी से तेल वाले पीपे से तेल निकाला और उसे गर्म करके चोरों के पीपों में डाल दिया, जिससे सभी चोर मर गए।
अंत में विजय
रात में, जब सरदार ने चोरों को बाहर निकलने का इशारा किया, तो कोई भी बाहर नहीं आया। उसने पीपों को खोला और देखा कि उसके साथी मर चुके हैं। यह देखकर वह डरकर भाग गया।
सुबह, मरजाना ने सारी बात अलीबाबा को बताई। अलीबाबा और उसकी पत्नी को मरजाना की बुद्धिमानी और साहस पर गर्व हुआ। अब, चालीस चोरों का खजाना अलीबाबा का हो गया था। उसने ईमानदारी और मेहनत से अपना जीवन बेहतर बनाया और अपने परिवार के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच और बेईमानी से हमेशा नुकसान होता है, जबकि ईमानदारी और चतुराई से जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। अलीबाबा की कहानी यह बताती है कि अच्छाई और साहस हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करते हैं।
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