अभ्यास की ताक़त: वरदराज की प्रेरणादायक कहानी

vardhraj

वरदराज की यह कहानी बताती है कि निरंतर अभ्यास से कोई भी व्यक्ति सफलता हासिल कर सकता है, चाहे शुरुआती राह कितनी भी कठिन क्यों न हो।

प्राचीन भारत में शिक्षा का केंद्र गुरुकुल होते थे, जहाँ बच्चे प्रकृति के समीप रहकर गुरुजनों से ज्ञान प्राप्त करते थे। जीवन अनुशासित होता था और शिक्षा के साथ-साथ सेवा, अनुशासन और आत्मनिर्भरता भी सिखाई जाती थी।

इसी परंपरा के तहत वरदराज नामक एक बालक को भी उसके माता-पिता ने शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल भेजा। वहाँ वह अन्य बच्चों के साथ रहने और आश्रम के कार्यों में भाग लेने लगा। लेकिन एक समस्या थी—वह पढ़ाई में बहुत कमजोर था। गुरुजी की बातें उसे समझ नहीं आतीं और उसका मन बार-बार चूक जाता। धीरे-धीरे वह अपने साथियों के बीच मज़ाक का विषय बन गया।

My First Library: Boxset of 10 Board Books for Kids
My First Library: Boxset of 10 Board Books for Kids
Get This
Phonic stories - Bedtime Stories
Phonic stories - Bedtime Stories
Get This
Toy Imagine 8.5\" LCD Writing Tablet for Kids
Toy Imagine 8.5\" LCD Writing Tablet for Kids
Get This
Pack of 4 Books (Writing Fun: Write And Practice Capital Letters, Small Letters, Patterns and Numbers 1 to 10)
Pack of 4 Books (Writing Fun: Write And Practice Capital Letters, Small Letters, Patterns and Numbers 1 to 10)
Get This
Patterns Practice book for kids (Pattern Writing)
Patterns Practice book for kids (Pattern Writing)
Get This

समय बीता, सभी साथी आगे की कक्षा में चले गए, लेकिन वरदराज वहीं रह गया। गुरुजी ने भी प्रयास करके देख लिया, लेकिन कोई सुधार न देखकर उन्होंने हार मान ली और वरदराज से कहा,
“बेटा, अब तुम यहाँ समय बर्बाद मत करो। घर जाओ और परिवार के कामों में हाथ बंटाओ।”

मन भारी था, दिल टूटा हुआ था, लेकिन कोई और रास्ता न था। वरदराज घर के लिए चल पड़ा। रास्ते में प्यास लगने पर वह एक कुएं के पास रुका, जहाँ कुछ महिलाएं पानी भर रही थीं। उसने देखा कि रस्सी के आने-जाने से पत्थर पर गहरे निशान पड़ गए थे। यह देखकर उसके मन में प्रश्न उठा,
“क्या इतनी कोमल रस्सी भी पत्थर को काट सकती है?”

महिलाओं में से एक ने मुस्कराकर कहा,
“हाँ बेटे, यह लगातार अभ्यास का परिणाम है। यही रस्सी रोज़ आती-जाती है, और इसी से ये निशान बने हैं।”

यह बात वरदराज के दिल में उतर गई। उसने सोचा,
“जब कोमल रस्सी निरंतर प्रयास से कठोर पत्थर पर निशान छोड़ सकती है, तो क्या मैं निरंतर अभ्यास से विद्या नहीं पा सकता?”

उसी क्षण उसने निर्णय लिया—वह हार नहीं मानेगा। वह गुरुकुल लौटा और पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाई में जुट गया। उसकी मेहनत रंग लाई। गुरुजी भी उसकी लगन से प्रभावित हुए और उसे मार्गदर्शन देते रहे।

कुछ वर्षों में वही वरदराज, जो कभी पढ़ाई में कमजोर था, संस्कृत भाषा का एक महान विद्वान बन गया। उसने संस्कृत व्याकरण की कई महत्वपूर्ण कृतियाँ जैसे लघुसिद्धांतकौमुदी, मध्यसिद्धांतकौमुदी, सारसिद्धांतकौमुदी और गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।


सीख :

निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है।
चाहे पढ़ाई हो, खेल हो या जीवन का कोई और क्षेत्र, बिना अभ्यास के आप लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते। किस्मत पर बैठकर इंतज़ार करने से बेहतर है कि आप मेहनत करें, अभ्यास करें और धैर्य रखें। अभ्यास एक ऐसा हथियार है जो असंभव को भी संभव बना सकता है।

My First Library: Boxset of 10 Board Books for Kids
My First Library: Boxset of 10 Board Books for Kids
Get This
Phonic stories - Bedtime Stories
Phonic stories - Bedtime Stories
Get This
Toy Imagine 8.5\" LCD Writing Tablet for Kids
Toy Imagine 8.5\" LCD Writing Tablet for Kids
Get This
Pack of 4 Books (Writing Fun: Write And Practice Capital Letters, Small Letters, Patterns and Numbers 1 to 10)
Pack of 4 Books (Writing Fun: Write And Practice Capital Letters, Small Letters, Patterns and Numbers 1 to 10)
Get This
Patterns Practice book for kids (Pattern Writing)
Patterns Practice book for kids (Pattern Writing)
Get This


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

#Editors Choice #Educational Stories in Hindi