खिलौनों की दुकान

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खिलौनों की दुकान में, कितनी रंगीनी छाई, गुड़िया, गाड़ियाँ, ट्रेनें, सजी हर एक सुनहरी धूप। बच्चे आते खुशी-खुशी, चुनते अपने सपने, हर खिलौना कहता कहानी, जैसे खुशियों के दीप। रंग-बिरंगे ब्लॉक्स से, बच्चों की कला जगी, टेडी बियर, पहेलियाँ, सिखाएं नया पाठ लगी। खिलौनों की दुकान में, शिक्षाप्रद हर खेल, सीखें बच्चे जग के रंग, […]

खिलौनों की दुकान में, कितनी रंगीनी छाई,
गुड़िया, गाड़ियाँ, ट्रेनें, सजी हर एक सुनहरी धूप।
बच्चे आते खुशी-खुशी, चुनते अपने सपने,
हर खिलौना कहता कहानी, जैसे खुशियों के दीप।

रंग-बिरंगे ब्लॉक्स से, बच्चों की कला जगी,
टेडी बियर, पहेलियाँ, सिखाएं नया पाठ लगी।
खिलौनों की दुकान में, शिक्षाप्रद हर खेल,
सीखें बच्चे जग के रंग, जैसे जीवन की रेल।

चुन चुन कर खिलौने, बच्चे करें बहुत बातें,
खिलौने उनके साथी, ले उनकी दुनिया में साथ।
खिलौनों की दुकान है, बच्चों की खुशियों का घर,
यहाँ हर खिलौना बनता, उनके सपनों का स्टार।

 

यह कविता “खिलौनों की दुकान” बच्चों को खिलौनों के माध्यम से शिक्षाप्रद और मनोरंजक ज्ञान प्रदान करती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे विभिन्न प्रकार के खिलौने न केवल बच्चों को खुशी देते हैं, बल्कि उनमें कल्पना, रचनात्मकता, और सीखने की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा देते हैं। यह कविता बच्चों को प्रेरित करती है कि वे खेल-खेल में नई चीजें सीखें और अपने आसपास की दुनिया को बेहतर समझें। खिलौनों की दुकान इस कविता में एक जादुई जगह के रूप में प्रस्तुत की गई है, जहां हर खिलौना बच्चों को नई सोच और सीखने के नए तरीके उपलब्ध कराता है।

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