चंदा मामा दूर के… बच्चों के लिए प्रिय हिंदी बाल कविता

चंदा मामा: बच्चों के लिए प्रिय हिंदी बाल कविता

चंदा मामा दूर के, पुए पकाये बूर के

आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में

प्याली गई टूट, मुन्ना गया रूठ

लायेंगे नई प्यालिया, बजा-बजा कर तालियां

मुन्ने को मनाएंगे, दूध मलाई खायेंगे

चंदा मामा दूर के…

उड़नखटोला बैठ के मुन्ना, चंदा के घर जायेगा

तारो के संग आँख मिचोली, खेल के दिल बहलायेगा

खेल कूद से जब मेरे मुन्ने का दिल भर जायेगा

ठुमक-ठुमक मेरा मुन्ना वापस घर को आएगा

चंदा मामा दूर के…

चंदा मामा: बाल मन की खुशियों का संसार

‘चंदा मामा’ – यह नाम सुनते ही हर भारतीय बच्चे के मन में एक मीठी मुस्कान और खुशी की लहर दौड़ जाती है। यह कविता न केवल एक बाल कविता है, बल्कि यह हमारे बचपन की यादों का एक अनमोल हिस्सा है। इस कविता में चंदा मामा के रूप में चाँद को एक प्यारे और देखभाल करने वाले किरदार के रूप में दर्शाया गया है, जो बच्चों के लिए खुशियों का पिटारा लेकर आता है।

यह कविता हमें न सिर्फ बचपन की सरलता और मासूमियत में ले जाती है, बल्कि हमारी कल्पना को भी पंख लगा देती है। चंदा मामा के साथ बच्चों की यह अनोखी यात्रा और उनके संग खेलने-कूदने की बातें बच्चों को बहुत भाती हैं। इस कविता के माध्यम से हम न केवल बच्चों को कुछ सिखा सकते हैं, बल्कि उनके साथ एक अच्छा समय भी बिता सकते हैं।

‘चंदा मामा’ कविता भारतीय संस्कृति की एक अमिट छाप है और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी संजोया जा रहा है। यह हमारे देश की बाल साहित्य की धरोहर है और इसका महत्व समय के साथ और भी बढ़ता जा रहा है। इस पृष्ठ पर हमने इस कविता को नई पीढ़ी के लिए प्रस्तुत किया है, ताकि वे भी इस कविता के माध्यम से अपने बचपन की गलियों में खो जाएं और उसी आनंद को महसूस करें, जो हमने कभी किया था।


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