कबीर के दोहे: बच्चों के लिए जीवन का सच्चा ज्ञान

संत कबीर के दोहे बच्चों के नैतिक विकास और आत्मज्ञान में सहायक हैं। पढ़िए प्रेरणादायक दोहे सरल भाषा और अर्थ के साथ।
संत कबीरदास भारत के महान संत, कवि और विचारक थे। उनके दोहे छोटे होते हैं, लेकिन उनमें जीवन की गहराई और सच्चाई छिपी होती है। बच्चों की सोच को सकारात्मक और नैतिक बनाने के लिए कबीर के दोहे अद्भुत मार्गदर्शन करते हैं। आइए कुछ दोहों के माध्यम से हम सीखें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ।
1. जीवन का असली अर्थ
“जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय।
मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय।।”
अर्थ: जो जीते जी अपने बुरे विचारों और अहंकार को खत्म कर देता है, वही असली विजेता होता है। हमें अपने भीतर की बुराइयों को हराना चाहिए।
2. मन की चालाकी
“मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत।
मूये पीछे उठि लगा, ऐसा मेरा पूत।।”
अर्थ: हमारा मन कई बार शांत दिखता है, लेकिन मौका मिलते ही दोबारा बुरे विचारों में उलझा देता है। हमें हमेशा सजग रहना चाहिए।
3. सच्चा भक्त कौन?
“भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय।
रोइये साकट बपुरे, हाटों हाट बिकाय।।”
अर्थ: सच्चा भक्त मृत्यु के बाद शांति को पाता है, जबकि अज्ञानी दुखों में भटकता है। इसलिए सही मार्ग चुनना ज़रूरी है।
4. मैं-मेरेपन को छोड़ो
“मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ।
जो घर जारो आपना, चलो हमारे साथ।।”
अर्थ: अहंकार और स्वार्थ के घर को जलाकर विनम्रता और प्रेम के रास्ते पर चलना चाहिए।
5. शब्द और सत्संग का प्रभाव
“शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल।
काम क्रोध व्यापै नहीं, कबूँ न ग्रासै काल।।”
अर्थ: जो गुरु के बताए शब्दों पर चलता है, वह बुराई से बचता है और उसका जीवन सफल होता है।
6. शरीर की माया
“जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय।
काया माया मन तजै, चौड़े रहा बजाय।।”
अर्थ: जब तक शरीर और मन की इच्छाओं से मोह रहेगा, तब तक सच्ची शांति नहीं मिलेगी। इनसे ऊपर उठकर ही ज्ञान की प्राप्ति होती है।
7. मन को कभी हल्के में न लो
“मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास।
साधु तहाँ लौं भय करे, जौ लौं पिंजर साँस।।”
अर्थ: मन को शांत देखकर भी उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए, वह कभी भी भटका सकता है। सच्चा साधक हमेशा सजग रहता है।
8. जागता भूत (मन)
“कबीर मिरतक देखकर, मति धरो विश्वास।
कबहुँ जागै भूत है, करे पिड़का नाश।।”
अर्थ: हमारा मन बुरा भूत बनकर हमें गलत रास्ते पर ले जा सकता है, इसलिए हमेशा ध्यान और विवेक से काम लो।
9. अहंकार से हारो, ज्ञान से जीतो
“अजहुँ तेरा सब मिटै, जो जग मानै हार।
घर में झजरा होत है, सो घर डारो जार।।”
अर्थ: जब हम अहंकार को छोड़ते हैं, तभी जीवन में सच्ची शांति आती है।
10. सत्संग का महत्व
“सत्संगति है सूप ज्यों, त्यागै फटकि असार।
कहैं कबीर गुरु नाम ले, परसै नहीं विकार।।”
अर्थ: जैसे सूप अनाज से कचरा अलग करता है, वैसे ही सत्संग हमें बुरी आदतों से अलग करता है। गुरु के नाम का स्मरण करने से मन पवित्र हो जाता है।
Leave a Reply