अटल बिहारी वाजपेयी: राजनीति के कवि, कविता के राजनेता

Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं भावनाओं की शक्ति हैं। उनका कवि हृदय न केवल शब्दों से देश को जोड़ता है, बल्कि आत्मा से जीवन को छू जाता है।

“हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा…” – एक योद्धा की कविता

राजनीति में जहाँ शब्द अक्सर हथियार बनते हैं, वहाँ अटल बिहारी वाजपेयी का कवि मन उन्हें भावनाओं का संवाहक बना देता था। उनका व्यक्तित्व जितना प्रखर था, उतनी ही उनकी कविताएं गूंजती थीं—कभी जीवन के संघर्ष को स्वर देतीं, कभी देशभक्ति का ओज भरतीं।

कविता से जुड़ा अटल जी का आत्मा-सम्वाद

अटल जी बचपन से ही लेखन में रुचि रखते थे। वे कहते थे—

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“मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, पराजय की घोषणा नहीं। यह पराजित सैनिक की निराशा नहीं, अपितु योद्धा की विजय कामना है।”

उनकी कविताएं केवल साहित्य नहीं थीं, वे समय के साथ चलने वाले जीवंत दस्तावेज़ थीं। उन्होंने जब आपातकाल के दौरान “कैदी कविराज की कुंडलियां” लिखीं, तो वह सत्ता के खिलाफ एक साहसी आत्मा की आवाज़ बन गईं।

अटल जी की कविताएं: भावनाओं की आवाज़

अटल जी की रचनाओं में सामाजिक चेतना, राष्ट्रीय गर्व, मानवीय संवेदना और आध्यात्मिक गहराई देखने को मिलती है। उनकी कुछ प्रमुख कविता संग्रह हैं:

  • कैदी कविराज की कुंडलियां – आपातकाल की पीड़ा और लोकतंत्र के लिए पुकार
  • अमर आग है – जोश, उम्मीद और संकल्प का संगम
  • मेरी इक्यावन कविताएँ – जीवन के विविध रंगों की झलक
  • क्या खोया क्या पाया – आत्ममंथन की भावभीनी झलक
  • इक्कीस कविताएँ – गूढ़ विचारों और सरल भाषा का संगम

उनकी कविता “गीत नया गाता हूँ” आज भी प्रेरणा का स्रोत है:

“टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते…”
“होंसला लोहे सा है, पिघलता नहीं…”

कविता में छुपी आत्मा की राजनीति

अटल जी की कविताएं उनके विचारों की धरती थीं। उनके राजनीतिक जीवन के हर महत्वपूर्ण मोड़ पर, उनका कवि हृदय ही उन्हें मार्गदर्शन देता था। कारगिल युद्ध के समय, जब राष्ट्र आहत था, उन्होंने देश को शब्दों से संबल दिया।

उनकी यह कविता, युद्ध और शांति दोनों का सशक्त प्रतीक थी:

“आओ फिर से दिया जलाएं…”

इस पंक्ति में राष्ट्रप्रेम भी है और एक गहरा मानवीय आग्रह भी।

कविता और व्यक्तित्व का संगम

अटल जी ने कभी खुद को कवि और राजनेता के बीच अलग नहीं किया। उनका कवि मन ही उन्हें एक संवेदनशील राजनेता बनाता था।

  • वे संघर्ष में भी संवेदना नहीं छोड़ते थे।
  • विरोध में भी सम्मान रखते थे।
  • और हार में भी उम्मीद का दीप जलाते थे।

भावनाओं से जुड़िए – अटल जी की कविताएं पढ़िए

अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं न केवल पढ़ी जाएं, बल्कि महसूस की जाएं।
जब जगजीत सिंह ने उनकी कविताओं को संगीत में पिरोया, तो हर स्वर में अटल जी की आत्मा बोल उठी।

एक कविता जो कभी नहीं थमी

अटल जी की कविताएं आज भी जीवित हैं। वे शब्दों की उस मशाल की तरह हैं, जो न केवल रोशनी देती हैं, बल्कि हमें अंदर से गर्माहट और उम्मीद से भर देती हैं।

“मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं…”

यह केवल कविता नहीं है, यह एक जीवन-दर्शन है—एक कवि की अंतिम पंक्तियों में बसी उसकी पूरी आत्मा।

आइए, हम सब मिलकर इस कवि-प्रधानमंत्री को पढ़ें, समझें और महसूस करें। उनकी कविताएं केवल किताबों में नहीं, दिलों में बसती हैं।


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