नकलची बंदर और समझदारी से समस्या का हल

नकलची बंदरों की शरारत और टोपीवाले की चतुराई की यह मज़ेदार हिंदी कहानी जरूर पढ़ें। जानें कि कैसे समझदारी से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है!
एक गाँव में एक मेहनती टोपीवाला रहता था। वह हर दिन अलग-अलग गाँवों में जाकर अपनी रंग-बिरंगी टोपियाँ बेचता था। यह उसका रोज़गार था, जिससे वह अपना घर चलाता था।
एक दिन, वह टोपी बेचने के लिए पास के गाँव की ओर निकला। दोपहर हो रही थी, सूरज की तेज़ धूप से वह बहुत थक गया। रास्ते में उसे एक घना पेड़ दिखा, जिसकी छांव बड़ी ठंडी थी। उसने सोचा, “थोड़ी देर यहाँ आराम कर लूँ, फिर आगे बढ़ूंगा।”


वह पेड़ के नीचे बैठ गया, अपना टोपीयों से भरा थैला पास रखा और आराम करने लगा। ठंडी हवा के झोंकों ने उसे मीठी नींद में सुला दिया।
शरारती बंदरों की चालाकी
उसी पेड़ पर बंदरों का एक झुंड रहता था। बंदरों ने टोपीवाले के थैले को देखा और वे बहुत उत्सुक हो गए। धीरे-धीरे वे पेड़ से उतरे और थैले से सारी टोपियाँ निकाल लीं। फिर वे तेजी से वापस पेड़ पर चढ़ गए और मज़े से टोपियाँ पहनकर इधर-उधर कूदने लगे।
कुछ देर बाद, टोपीवाले की आँख खुली। उसने अपने थैले को खाली देखा तो घबरा गया। उसने इधर-उधर नज़र दौड़ाई, तो देखा कि बंदर पेड़ पर बैठे उसकी टोपियाँ पहने हुए थे! यह देखकर वह परेशान हो गया और सोचने लगा कि अब क्या करे।
समझदारी से हल निकला
टोपीवाले ने बंदरों को टोपी पहने देखा, तो उसे एक पुरानी कहावत याद आई कि बंदर इंसानों की नकल करते हैं। उसे तुरंत एक तरकीब सूझी।
उसने अपने सिर से अपनी टोपी उतारी और ज़मीन पर फेंक दी। बंदरों ने यह देखा और तुरंत उसकी नकल करने लगे। उन्होंने भी अपनी-अपनी टोपियाँ उतारकर नीचे गिरा दीं।
टोपीवाले ने बिना समय गँवाए तेजी से सारी टोपियाँ इकट्ठी कीं और अपने थैले में रख लीं। फिर वह मुस्कुराते हुए गाँव की ओर बढ़ गया, यह सोचते हुए कि समझदारी से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
कहानी से सीख:
जब भी कोई समस्या आए, तो घबराने के बजाय धैर्य और चतुराई से उसका हल निकालें। 😊


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