अच्छी संगत का जीवन पर प्रभाव
यह कहानी रामू के जीवन की है, जो गलत संगत में पड़कर भटक गया था। एक साधु महात्मा की सीख ने उसकी जिंदगी बदल दी। जानें कैसे संगत का प्रभाव आपके जीवन को भी बदल सकता है।
गाँव के एक छोटे से घर में रामू नाम का एक प्यारा और मासूम लड़का रहता था। उसका स्वभाव बहुत ही सरल और शांत था, लेकिन एक कमी थी—वह गलत संगत में पड़ गया था। गाँव के कुछ शरारती बच्चे उसका दोस्त बन गए थे, और उनका असर रामू पर साफ़ दिखने लगा था। अब वह भी कभी-कभी स्कूल से गायब रहने लगा था, और जो पढ़ाई में पहले तेज़ था, वह धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा था। उसकी माँ-बाप उसकी इस हालत को देखकर दिन-रात परेशान रहते थे। वे अक्सर सोचते, “हमारा रामू कहाँ खो गया?”
एक दिन गाँव में एक साधु महात्मा का आगमन हुआ। उन्होंने गाँव के चौपाल पर बैठकर प्रवचन देना शुरू किया। उनकी वाणी में एक खास आकर्षण था। वे बच्चों को समझा रहे थे कि जीवन में संगत कितनी महत्वपूर्ण होती है—अच्छी संगत इंसान को तरक्की की राह दिखाती है, जबकि बुरी संगत उसे पतन की ओर धकेल देती है। रामू की माँ ने यह सुना और सोचा कि शायद साधु महात्मा की बातें रामू के जीवन में कुछ बदलाव ला सकें। उन्होंने रामू को जबरदस्ती साधु महात्मा के पास ले जाने का फैसला किया।
साधु महात्मा ने रामू को देखा और मुस्कुराते हुए उसे अपने पास बुलाया। रामू पहले तो घबराया, लेकिन साधु महात्मा के स्नेहिल स्वभाव ने उसे सहज कर दिया। महात्मा ने पूछा, “बेटा, तुम कौन से दोस्त बनाते हो, और तुम्हारे दिन कैसे बीतते हैं?”
रामू ने थोड़ा शर्माते हुए जवाब दिया, “बाबा, मेरे दोस्त अच्छे नहीं हैं, लेकिन उनके साथ मस्ती करना अच्छा लगता है।”
साधु महात्मा ने उसकी बात ध्यान से सुनी और बोले, “बेटा, तुम्हारी संगत ही तुम्हारे जीवन की दिशा तय करती है। अगर तुम अच्छे लोगों के साथ रहोगे, तो तुम्हारे जीवन में फूल जैसी सुगंध होगी, और अगर बुरे लोगों के साथ रहोगे, तो तुम्हारी ज़िंदगी में सिर्फ़ बदबू और गंदगी ही आएगी।”
रामू थोड़ी देर चुप रहा, फिर उसने पूछा, “बाबा, ये कैसे मुमकिन है कि सिर्फ़ संगत से किसी का जीवन बदल जाए?”
साधु महात्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हें एक छोटा सा उदाहरण देता हूँ। जाओ, एक ताजा फूल और एक मिट्टी का ढेला ले आओ।”
रामू दौड़कर फूलों के बाग़ से एक सुंदर गुलाब का फूल तोड़ लाया और रास्ते से एक मिट्टी का ढेला भी उठा लाया। साधु महात्मा ने फूल को रामू की ओर बढ़ाया और कहा, “अब इस फूल को सूंघो, तुम्हें कैसी महक आती है?”
रामू ने फूल को सूंघा और बोला, “बाबा, इसकी महक तो बहुत मीठी और प्यारी है।”
साधु महात्मा ने फिर मिट्टी का ढेला उसके पास बढ़ाया और बोले, “अब इसे सूंघो, तुम्हें कैसी गंध आ रही है?”
रामू ने सूंघा और अपनी नाक सिकोड़ते हुए बोला, “बाबा, इससे तो गंदी बदबू आ रही है।”
साधु महात्मा ने धीरे से रामू के सिर पर हाथ फेरा और बोले, “बिल्कुल सही कहा। बेटा, ठीक ऐसे ही, तुम्हारे जीवन में जो लोग हैं, वो तुम्हारी संगत का हिस्सा होते हैं। अगर तुम अच्छे लोगों के साथ रहोगे, तो तुम्हारा जीवन इस फूल की तरह महकने लगेगा। लेकिन अगर तुम गलत लोगों के साथ रहोगे, तो तुम्हारे जीवन में मिट्टी की तरह गंदगी भर जाएगी। अब यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या चुनते हो।”
रामू ने गहरी सोच में डूबकर साधु महात्मा की बातों को सुना। उस दिन पहली बार उसे एहसास हुआ कि उसके जीवन की दिशा उसके दोस्तों पर भी निर्भर करती है। उसने मन ही मन एक फैसला किया—अब वह उन दोस्तों से दूर रहेगा जो उसे गलत राह पर ले जाते हैं।
अगले ही दिन से रामू ने बदलाव की शुरुआत की। उसने उन बच्चों से दूरी बना ली जो शरारतों और गलत कामों में लगे रहते थे। अब वह उन बच्चों के साथ समय बिताने लगा जो पढ़ाई में अच्छे थे और सदैव अच्छे कामों में लगे रहते थे। धीरे-धीरे उसकी पढ़ाई में भी सुधार होने लगा। गाँव के लोग, जो पहले उसे ताना मारते थे, अब उसकी तारीफ करने लगे। उसके माता-पिता की आँखों में भी संतोष की चमक लौट आई थी।
रामू को अब सचमुच समझ में आ गया था कि संगत का असर कितना गहरा होता है। अच्छी संगत से इंसान का चरित्र, आदतें और जीवन सब संवर जाते हैं।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सही संगत का चुनाव करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही हमारे जीवन की दिशा तय करती है। अगर हम ऐसे लोगों के साथ रहेंगे जो हमें प्रेरित करें, सही मार्ग दिखाएं, और हमारा साथ निभाएं, तो हमारा जीवन भी एक महकते हुए फूल की तरह सुंदर हो जाएगा।
मूल संदेश: अच्छी संगत से जीवन संवरता है और बुरी संगत से बिगड़ता है।
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