दीपक और दीवाली का संदेश

दीपक और सच्ची दीवाली: एक प्रेरणादायक कहानी

एक समय की बात है, एक छोटा सा बच्चा दीपक अपने दोस्तों के साथ दीवाली की तैयारियाँ कर रहा था। दीपक का मानना था की दीवाली का त्योहार सिर्फ पटाखे फोड़ने और मिठाईयां खाने का नहीं होता।

इसीलिए उसने अपने सभी दोस्तों से मिलकर एक योजना बनाई। उसने सोचा की इस साल वह सभी गाँववालों को दिखाएगा की दीवाली का असली मतलब क्या होता है।

दीवाली की शाम, दीपक और उसके दोस्त ने गाँव के सभी बच्चों को इकट्ठा किया। उन्होंने सभी बच्चों से कहा कि आज वे सभी मिलकर हर घर पर जाकर एक-एक दिया जलाएंगे और लोगों को अच्छी-अच्छी बातें सिखाएंगे।

दीपक और उसके दोस्तों ने सभी बच्चों से उम्मीद की कि वे किसी से भी झगड़ा नहीं करेंगे और सभी का साथ देंगे।

जब यह टोली एक बुजुर्ग आदमी के घर पहुँची तो देखा वह अकेला बैठा था। उस बुजुर्ग ने बच्चों से कहा कि उसके पास न तो दिया है, और न ही जलाने के लिए तेल।

दीपक ने तुरंत अपना दिया उस बुजुर्ग के सामने रख दिया और मुस्कान के साथ कहा, “दादाजी, इस दिये का प्रकाश आपके चेहरे पर मुस्कान लाएगा।” दादाजी ने मुस्कराते हुए उस दिये को जलाया।

इस तरह, दीपक और उसकी टोली हर घर जाती और लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाती।

दीपक ने सभी को यह सिखाया कि दीवाली का असली मतलब एक-दूसरे की सहायता करना, और प्रेम से मिलना होता है। उस दिन से, गाँव में हर साल दीवाली पर सभी एक-दूसरे का ध्यान रखते, और साथ मनाते हैं।

और यही है दीवाली मनाने का सच्चा तरीका।

आशा है की यह कहानी आपको पसंद आई होगी, और बच्चों को दीवाली के असली मायने समझाने में मदद करेगी।

 

Image by: Freepik


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